इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी तकनीक से 28 वर्षीय महिला का सिक्वेस्टेशन ऑफ़ राइट लंग का सफल इलाज

जयपुर । छाती के दर्द एवं खांसी में खून आने की वजह से  लंबे समय से परेशान एक 28 वर्षीय महिला रोगी को दाएं फेफड़े का पल्मोनरी सिक्वेस्टेशन था। इस बीमारी का जयपुर स्थित राजस्थान हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी तकनीक  से सफल उपचार किया है। 

राजस्थान अस्पताल में इंटरवेंशनल रेडियोलोजी विभाग के डॉ रघुनाथ नागवेकर एवं डॉ मनीष राजपूत ने बताया कि फेफड़े का पल्मोनरी सिक्वेस्टेशन 10 हजार में एक व्यक्ति में होने वाली रेयर कंडीशन है। उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर दाए फैफड़े में 3 लोब होते हैं। दस हजार में एक व्यक्ति को अतिरिक्त लोब जन्मजात विकसित हो जाता है। इस अतिरिक्त लोब का अपना ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम बन जाता है और इसमें बार बार इंफेक्शन होने की शिकायत रहती है। इस महिला को यह परेशानी 10 साल से महसूस हो रही थी। बीमार महिला कई अस्पतालों में, कई डॉक्टरों के पास गई लेकिन कहीं टीबी का इलाज दिया तो कहीं कुछ और लेकिन राजस्थान हॉस्पिटल में पहली बार में ही उसकी बीमारी का सही डायग्नोस किया गया। 

डॉ मनीष राजपूत ने बताया कि इस मरीज को नई विकसित हुई एन्जीयोग्राफी तकनीक से मरीज के इन्फैक्टेड एरिया को जाने वाली अतिरिक्त आर्टरीज को कोइल एम्बुलाईजेशन तरीके से बंद कर दिया गया। इसके बाद यह लोब अपने आप सिकुड़ जाएगा। 

डॉ नागवेकर ने बताया कि  इस लोब को निकालना एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें ऑपरेशन करना होता है। इसमें रक्त की आवश्यकता पड़ती है। लम्बे समय बेड रेस्ट के साथ यह अत्याधिक खर्चीला प्रोसीजर है  जिससे मरीज को गुजरना पड़ता है। 

इंटरवेंशनल रेडियोलोजी के एक्सपर्ट्स   ने बताया कि इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी, अर्थात आईआर में मेडिकल इमेजिंग के उपयोग से डॉक्टर न्यूनतम  इनवेसिव सर्जिकल प्रक्रियाओं द्वारा कई प्रकार की स्थितियों का निदान, उपचार और इलाज करते हैं। इमेजिंग में फ्लोरोस्कोपी, एमआरआई, सीटी और अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है।  इस तकनीक से इलाज में मरीज की चीरफाड़ नहीं करनी पड़ती जिससे रक्त भी नहीं बहता और मरीज को लंबा बेड रेस्ट भी नहीं करना पड़ता। जाहिर है इस वजह से मरीज का खर्चा भी बहुत कम होता है। 

राजस्थान अस्पताल के चेयरमैन डॉ एस एस अग्रवाल ने इस पर संतोष जाहिर करते हुए कहा कि युवा डॉक्टरों के मेडिकल टैलेंट और स्किल का खुलकर उपयोग करने के लिए यदि उपयुक्त प्लेटफार्म दिया जाय तो चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हमें शीघ्र ही मिलती जायगी और राज्य की जनता को अफोर्डेबल ट्रीटमेंट राज्य में ही मिल जायेगा, जिससे उन्हें ना अन्य खर्चीले अस्पतालों में जाना पड़ेगा ना ही विदेशों में महगा इलाज लेना होगा।

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