
यूपी सरकार की तरफ से बनाई गई एसआईटी ने वारदात वाली जगह का जायजा लिया, कल रिपोर्ट देगी
नई दिल्ली। हाथरस गैंगरेप मामले की हाईलेवल जांच की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि गवाहों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए जा रहे हैं। बुधवार तक एफिडेविट देकर बताएं। इस मामले में अगले हफ्ते फिर सुनवाई होगी।
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में एक एफिडेविट दिया। इसमें कहा गया, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच के आदेश दिए जाएं। सुप्रीम कोर्ट को खुद भी सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए। पीडि़त का अंतिम संस्कार रात में इसलिए किया गया, क्योंकि दिन में हिंसा भड़कने की आशंका थी। इंटेलीजेंस इनपुट मिला था कि इस मामले को जातिवाद का मुद्दा बनाया जा रहा है और पीडि़त के अंतिम संस्कार में लाखों प्रदर्शनकारी जमा हो सकते हैं।
एफिडेविट में यह भी कहा गया है कि हाथरस मामले में सरकार को बदनाम करने के लिए नफरत भरा कैंपेन चलाया गया। अब तक की जांच में पता चला है कि कुछ लोग अपने हितों के लिए निष्पक्ष जांच को प्रभावित करना चाहते हैं।

उधर, यूपी सरकार की तरफ से बनाई गई एसआईटी ने पीडित के गांव बुलगढ़ी में वारदात वाली जगह का जायजा लिया। एसआईटी कल अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी। इस मामले की हाई लेवल जांच की अर्जी लगाने वाले सोशल एक्टिविस्ट सत्यम दुबे, वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने अपील की है कि इस केस की जांच सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या मौजूदा जज या फिर हाईकोर्ट के जज से करवाई जाए।
पिटीशनर्स का दावा- यूपी पुलिस ने झूठी बातें फैलाईं
पिटीशनर्स ने यह अपील भी की है कि हाथरस केस को दिल्ली ट्रांसकर करने का आदेश जारी किया जाए, क्योंकि उत्तर प्रदेश पुलिस-प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ सही कार्रवाई नहीं की। पीड़ित की मौत के बाद पुलिस ने जल्दबाजी में रात में ही शव जला दिया और कहा कि परिवार की सहमति से ऐसा किया गया। लेकिन, यह सच नहीं है, क्योंकि पुलिसवाले ने खुद चिता को आग लगाई और मीडिया को भी नहीं आने दिया था।
पिटीशनर्स ने कहा है कि पुलिस ने पीड़ित के लिए अपनी ड्यूटी निभाने की बजाय आरोपियों को बचाने की कोशिश की। ऊंची जाति के लोगों ने पीड़ित के परिवार का शोषण किया, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया।