
जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने लोक सेवक पर हमला करने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से जुडे मामले में अंता विधायक कंवरलाल मीणा की विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त कंवरलाल मीणा को दो सप्ताह में सरेंडर करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने यह आदेश कंवरलाल मीणा की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए दिए। सुनवाई के दौरान अदालत ने मीणा के आपराधिक इतिहास पर भी सवाल उठाया। अदालत ने कहा कि घटना के बाद याचिकाकर्ता कई साल तक फरार रहा और इसके चलते मामले की सुनवाई घटना के छह साल 2011 में आरंभ हो पाई। सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी खारिज होने के बाद अब मीणा की विधायकी जाना लगभग तय हो गया है।
एसएलपी में राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने मीणा को ट्रायल कोर्ट से मिली तीन साल की सजा को रद्द करने से मना कर दिया था। वहीं उन्हें ट्रायल कोर्ट के समक्ष तत्काल सरेंडर करने का निर्देश दिया था। एसएलपी में अधिवक्ता नमित सक्सेना ने कहा कि अभियोजन पक्ष के पास ठोस सबूत ही नहीं थे। कथित घटना में 300 से 400 लोग मौजूद थे, लेकिन इनमें से एक भी व्यक्ति से अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर पूछताछ नहीं हुई। ट्रायल कोर्ट में भी किसी स्वतंत्र गवाह के बयान दर्ज नहीं कराए गए। इसके अलावा कथित रिवॉल्वर की कोई बरामदगी नहीं हुई है। इसलिए हाईकोर्ट और निचली अदालत के आदेशों को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए अभियुक्त को दो सप्ताह में सरेंडर करने को कहा है।
गौरतलब है कि अकलेरा के तत्कालीन एसडीओ रामनिवास मेहता ने 5 फरवरी, 2005 को स्थानीय कलेक्टर को पत्र लिखा कि 3 फरवरी को मनोहर थाना के पास गांव के लोक खाताखेडी के उपसरपंच के चुनाव का रिपोल कराने को लेकर रास्ता रोक रहे थे। इस दौरान वह और प्रशिक्षु आईपीएस सहित अन्य स्टाफ समझाइश कर रहा था। इतने में कंवरलाल अपने साथियों के साथ वहां आया और उसके सिर पर रिवाल्वर लगाकर दो मिनट में रिपोल की घोषणा नहीं करने पर जान से मारने की धमकी दी। इस दौरान उसने विभाग की ओर से कराई गई वीडियोग्राफी की कैसेट भी तोडकर जला दी। कलेक्टर की ओर से इस पत्र को एसपी को भेजने के बाद 9 फरवरी को पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की। एसीजेएम, मनोहर थाना ने 2 अप्रैल, 2018 को कंवरलाल को बरी कर दिया था।
इसके खिलाफ परिवादी और राज्य सरकार की अपील पर एडीजे कोर्ट, अकलेरा ने 14 दिसंबर, 2020 को कंवरलाल को तीन साल की सजा के साथ 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। इसके खिलाफ पेश रिवीजन पर हाईकोर्ट ने 19 अक्टूबर, 2023 को सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। वहीं गत दिनों अदालत ने मीणा की याचिका खारिज की थी। इसके खिलाफ पेश एसएलपी पर अदालत ने मीणा को अंतरिम राहत देते हुए सरेंडर करने पर छूट दी थी। वहीं अब अदालत ने एसएलपी को खारिज कर दिया है।