
नई दिल्ली। दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित तबलीगी जमात की मर्कज यानि जिसे हम आसान भाषा में सेंटर कहते हैं जो चर्चा में बना हुआ है।
तबलीगी जमात की मर्कज जो चर्चा में है
इसकी वजह यह है कि पूरे देश में लॉकडाउन जारी है और एक दूसरे से दूरी बनाकर रखना जरूरी है और एक से दो इंसान के इके होने पर भी पाबंदी है।
एक दूसरे से सम्पर्क में आते ही फैल रहे कोरोना वायरस से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को ही सबसे बढिय़ा हथियार माना गया है।
दिल्ली के निजामुद्दीन तबलीगी जमात मर्कज में इतने लोग इके मिलने से दिल्ली सरकार और पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूले हुए हैं।
ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जमात होती क्या है और इस तरह इकट्ठे होकर क्या किया जाता है। आइये जानते हैं इस बारे में सब कुछ
तबलीगी जमात का केंद्र निजामुद्दीन मरकज है। देश ही नहीं पूरी दुनिया से जमात (धार्मिक लोगों की टोली, जो इस्लाम के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए निकलते हैं) निजामुद्दीन मरकज पहुंचती है।
मरकज में तय किया जाता है कि देशी या विदेशी जमात को भारत के किस क्षेत्र में जाना है। अगर जमात राज्य और जिले में जाती है तो तबलीगी जमात का स्टेट मर्कज सारी चीजें तय करता है। अगर जमात विदेश जा रही है तो दिल्ली के निजामुद्दीन मर्कज में भी इसकी जानकारी के साथ कई चीजें तय होती हैं।
हालांकि, विदेश से जमात आने के बाद कुछ वक्त निजामुद्दीन मर्कज भी गुजारने होते हैं। जमात की हर टोली या ग्रुप में एक लीडर होता है जिसे अमीर कहा जाता है। अमीर के नेतृत्व में जमात की टीमें भ्रमण करती हैं और उसके निर्देशानुसार काम करती हैं।
तबलीग जमात का सिलसिला तीन दिन से लेकर दस दिन, चालीस दिन और चार महीने तक का होता है। तबलीगी जमात जिले से लेकर, राज्य, देश और विदेश तक जाती हैं। इनका आना जाने से लेकर पूरा कार्यक्रम स्टेट या सेंटर मर्कज तय करता है।