औडीसा में खनन क्षेत्र में तकनीक आधारित पारदर्शी व्यवस्था : सुबोध अग्रवाल

राज्य सरकार ने चार प्रदेशों की खान नीलामी व डाटा शेयरिंग व्यवस्था का अध्ययन कराया

खनन गतिविधियों से औडीसा में सबसे अधिक 30 हजार करोड़ के राजस्व संग्रहण का लक्ष्य है वहीं पारदर्शी और पूरी तरह से तकनीक व सूचना प्रोद्यौगिकी आधारित व्यवस्थाओं के चलते छीजत की संभावनाओं पर अंकुश लगा हुआ है।

यह जानकारी मंगलवार को एसीएस माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल को औडीसा में खनन ब्लॉकों की नीलामी और ऑनलाईन डाटा प्रक्रिया का अध्ययन करके आए अतिरिक्त निदेशक मुख्यालय एनके कोठ्यारी और एमई सतर्कता जयपुर जीनेश उमड ने अध्ययन रिपोर्ट में दी है।

एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि खनन की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रदेशों औडीसा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक की नीलामी व डाटा व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए चार दलों को भेजा गया था। उन्होंने बताया कि राज्य में विपुल खनन संपदा को देखते हुए खनिज खोज व खनन के क्षेत्र में नवाचारों व आधुनिक तकनीक को अपनाने की आवश्यकता है। राज्य में खनिजों की खोज और वैज्ञानिक विधि से खनन पर जोर दिया जा रहा है।

एडीएम कोठ्यारी ने वीसी मेें प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि औडीसा में उच्च आय के खनिज आयरन 8500 रु., क्रोमाइट 17000 रु., मैगनीज 22000रु. और ग्रेफाइट 36000रु. टन की औसत दर वाले खनिजों के खनन से अधिक राजस्व प्राप्त होता है जबकि प्रदेश में प्रमुख रुप से लाइमस्टोन के भण्डार की औसत दर 450 रु. प्रतिटन होने से राजस्व कम प्राप्त होता है।

उन्होंने बताया कि औडीसा में खनिजों की गुणवत्ता व भण्डार की जांच के लिए गुणवत्तायुक्त प्रयोगषाला है और एक्सआरएफ एनालाइजर के माध्यम से प्रयोगशाला में त्वरित व त्रुटीपूर्ण जांच होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य में भी खनन गतिविधियों में आधुनिकतम तकनीक और प्रयोगशाला को इक्विपमेंट संपन्न बनाना चाहिए। इसी तरह से ड्रोन का उपयोग, परिवहन व तुलाई का भी तकनीक आधारित तंत्र विकसित है।

यह भी पढ़ें-बूंद-बूंद के सदुपयोग की परम्परा को आत्मसात कर जल संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास करें : कल्ला