
पटना। बिहार में विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे को लेकर एनडीए पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जब भी बिहार आते हैं, बिहार के 100 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। पटना में राजद प्रदेश कार्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि पीएम मोदी के भाषण में कोई नया कंटेंट नहीं था, वही पुरानी बातों को दोहराया गया। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि आखिर पीएम मोदी ने सीवान को क्या दिया? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रैली में भीड़ जुटाने के लिए प्रशासन को लगाया गया और जबरदस्ती भीड़ बुलाई गई। ऐसा तमाशा 2005 से पहले नहीं होता था।
राजद नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टेलीप्रॉम्पटर पढ़कर भाषण देते हैं, उन्हें जमीनी सच्चाई की कोई समझ नहीं है। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर भी भड़कते हुए कहा कि वे लगातार हवाई यात्रा कर रहे हैं, आखिर उनका खर्चा कौन वहन कर रहा है। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पांच बार हेलीकॉप्टर से सीवान आए और वापस गए, उसका भी खर्च लगता है, उनकी सुरक्षा में भी खर्च होता है। देश के सबसे गरीब राज्य को लूटा जाता है। तेजस्वी ने कहा कि लालू यादव पर आरोप लगाने वाले पीएम मोदी को समझना चाहिए कि आज देश में कोई भी ट्रेन चल रही है तो पहिया बिहार बना रहा है, ये लालू यादव की देन है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी कथा सुनाकर गए हैं। जुमलों की बारिश करके चले गए हैं। उन्होंने कहा कि बिहार को बिहार के लोग चलाएंगे।
इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीवान दौरे को लेकर सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि पीएम ने सीवान की धरती से जो भाषण दिया, वह न तो जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरा, न ही उसमें कोई नयापन था। यह भाषण पीएम मोदी की पुरानी आदतों का दोहराव मात्र था। सरकारी मंच को खुलेआम राजनीतिक प्रचार का अड्डा बनाना और वास्तविक मुद्दों से पूरी तरह कन्नी काट लेना। शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सीवान में उन्होंने अपने मंत्रियों और गठबंधन के सहयोगियों की गिनती तो की, लेकिन जानबूझकर उन चेहरों को नजरअंदाज किया जो सामाजिक न्याय और समानता के प्रतीक हैं। उन्होंने सीवान की मौजूदा महिला सांसद और गोपालगंज के दलित सांसद दोनों का नाम लेना जरूरी नहीं समझा। यह उनके राजनीति में जातिगत भेदभाव का स्पष्ट प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने राजपूत समुदाय के नेताओं की सुनियोजित उपेक्षा की।