
राष्ट्रपति मुर्मू ने किया अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का शुभारम्भ
भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का शुभारंभ किया। सम्मेलन नए युग में मानववाद का सिद्धांत विषय पर हो रहा है, जिसमें 15 देशों के 350 से ज्यादा विद्वान और पांच देशों के संस्कृति मंत्री शामिल हैं। उद्घाटन अवसर पर प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर और सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता भी मौजूद रही। धर्म-धम्म के वैश्विक विचारों को मंच प्रदान करने वाले सम्मेलन में भूटान, मंगोलिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाइलैंड, वियतनाम, नेपाल, दक्षिण कोरिया, मॉरिशस, रूस, स्पेन, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन की सहभागिता है।
सम्मेलन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे का मुझे सानिध्य प्राप्त हुआ था। मैं उन्हें नमन करती हूं। महर्षि पतंजलि, गुरु नानक, भगवान बुद्ध ने दुख से निकलने के मार्ग सुझाए हैं। मानवता के दुख के कारण का बोध करना और इस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना पूर्व के मानववाद की विशेषता है। ये आज के युग में और अधिक महत्वपूर्ण है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की पद्धति स्थापित की। भगवान बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग प्रदर्शित किया। गुरु नानक देव जी ने नाम सिमरण का रास्ता सुझाया, जिसके लिए कहा जाता है- नानक नाम जहाज है, चढ़े सो उतरे पार….
उन्होंने कहा कि कभी-कभी कहा जाता है कि धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं है। धर्म-धम्म की अवधारणा भारत चेतना का मूल स्तर रही है। हमारी परंपरा में कहा गया है कि जो सब को धारण करता है, वो धर्म है। धर्म की आधारशिला मानवता पर टिकी हुई है। राग और द्वेष से मुक्त होकर, अहिंसा की भावना से व्यक्ति और समाज करना पूर्व के मानववाद का प्रमुख संदेश रहा है। नैतिकता पर आधारित व्यक्तिगत आचरण और समाज पूर्व के मानववाद का व्यावहारिक रूप है।