
5 जून 2025 को लद्दाख में भोटी भाषा को राजभाषा दर्जा मिलने के बाद सियासत गर्माई
पीएम मोदी हुए ट्रोल, राजस्थानी बोले- ये भेदभाव क्यों ?
जयपुर। राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार होने के बावजूद राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा नहीं मिल पा रहा है, जबकि इस भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए 3 सितंबर 2003 को विधानसभा में इसे पारित किया जा चुका है। अब भारत सरकार के स्तर पर मंजूर किया जाना है। बीती 5 जून 2025 को लद्दाख में भोटी भाषा को राजभाषा दर्जा मिलने के साथ ही राजस्थानी भाषा को यह दर्जा दिलाने की मांग अब और तेजी से इसलिए उठने लगी है। 2020 में भी डोगरी को जम्मू -कश्मीर में राजभाषा का दर्जा दिया जा चुका है, लेकिन राजस्थानी भाषा को यह दर्जा नहीं मिलने से राजस्थानियों में खासी नाराजगी है। वे अपनी इस नाराजगी को अब सोशल मीडिया पर जाहिर करने लगे हैं। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फोटो और कमेंट्स वायरल हो रहा है, जिसमें राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने की मांग की जा रही है। उसमें यह भी सवाल उठाया गया है कि राजस्थान को छोडक़र अन्य राज्यों को केन्द्र दर्जा दे रहा है, लेकिन राजस्थान को यह हक क्यों नहीं दिया जा रहा।
मदन दिलावर कर चुके हैं मांग
बता दें कि खुद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी इसके पक्ष में हैं। उनकी पहल पर मुख्य सचिव सुधांश पंत ने हाल में भारत सरकार को पत्र लिखकर इसकी मांग की है। पत्र में उन्होंने गृह सचिव गोविंद मोहिल से राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश की है। राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए वर्षों से मांग उठती रही है। कई बार आंदोलन भी हो चुके हैं, लेकिन नतीजे सिफर ही रहे। बता दें कि मातृभाषा राजस्थानी का मुद्दा प्रदेश की अस्मिता और जनभावना से जुड़ा है। राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलने से राजकाज सुगम हो जाएगा।
माणक अलंकरण समारोह में भी उठी थी बात
पिछले साल माणक अलंकरण समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि प्रो. कल्याण सिंह शेखावत ने राजस्थानी भाषा की मान्यता की हिमायत करते हुए कहा था कि 12 करोड़ राजस्थानियों की भाषा राजस्थानी को मान्यता मिलनी चाहिए। भाषा को मान्यता के बिना राजस्थान की संस्कृति और साहित्य नष्ट हो रहा है। बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार पदम मेहता पिछले कई साल से इसकी मांग कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने केन्द्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से मुलाकात कर संसद के प्रस्तावित बजट सत्र में राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने की मांग की थी।
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