सिद्धचक्र विधान का हुआ भव्य आगाज सान्निध्य गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी

श्री विराग सागर
श्री विराग सागर

जयपुर। प. पू. राष्ट्रसन्त गणाचार्य श्री विराग सागर जी महामुनिराज की सुविज्ञ शिष्या भारत गौरव सहस्रकूट विज्ञातीर्थ प्रणेत्री श्रमणी आर्यिका गुरु माँ विज्ञाश्री माताजी के सान्निध्य में बूंदी का गोठड़ा में अष्टाह्निका पर्व के प्रथम दिन सिद्धचक्र विधान की मंगल शुरुआत हुई । प्रातः अभिषेक , शांतिधारा , इंद्र प्रतिष्ठा , सकलीकरण , घटयात्रा , देवाज्ञा , गुरु आज्ञा आदि का कार्यक्रम हुआ । तत्पश्चात ध्वजारोहण करने का अवसर कालूलाल महेश जी बोरखंडया परिवार को प्राप्त हुआ । मंडप उद्घाटनकर्ता राजकुमार जी लाम्बाबास परिवार , चित्रानावरणकर्ता महावीर जी लाम्बाबास सपरिवार एवं दीप प्रज्ज्वलन करने का अवसर कैलाश जी सामरिया परिवार ने प्राप्त किया ।

इसी परिवार ने भोजन पुण्यार्जन का भी सौभाग्य प्राप्त किया । पूजन सामग्री प्रदाता महावीर कुमार जी आरुप खटोड़ परिवार रहा । एवं अल्पाहार पुण्यार्जक बनने का सौभाग्य कांताबाई लाम्बाबास परिवार रहा ।प्रतिष्ठाचार्य प. राजकुमार शास्त्री पिड़ावा व प. मनीष जी शास्त्री बूंदी का गोठड़ा द्वारा संगीतकार अभिनव एंड म्यूजिकल ग्रुप की स्वर लहरियों से पूरा पाण्डाल गुंजायमान हो गया । सभी भक्तों ने बड़े ही भक्तिभाव से मंडल जी पर प्रथम दिन के 8 अर्घ्य समर्पित किये ।पूज्य माताजी ने सभी को मंगल उद्बोधन देते हुए कहा कि – भक्ति का प्रथम सोपान है श्रद्धा ।

यदि श्रद्धा सम्यक है तो भक्ति का फल अवश्य मिलेगा । भक्ति रूपी Atm कार्ड में श्रद्धा का पासवर्ड डाल दिया जाये तो पैसा रूपी फल निकल कर आयेगा । इसलिये भक्तों यह सिद्धों की आराधना करो भक्ति करो बस श्रद्धा के साथ ।सांयकाल में प्रभु व गुरु माँ की मंगलमय आरती की गई । पूज्य माताजी द्वारा गुरु भक्ति (आनन्द यात्रा) का आयोजन किया गया । तत्पश्चात मोनू एंड पार्टी टीकमगढ़ के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम व भजन संध्या का आयोजन हुआ ।

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