
जयपुर। पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के निर्देशानुसार प्रसिद्ध लोहागढ़, भरतपुर स्थित सुजानगंगा नहर के स्वरूप को निखारने की कवायद शुरू हो गई है, ताकि देश-दुनिया के मानचित्र पर नहर को एक नई पहचान मिल सके। प्रमुख शासन सचिव, पर्यटन गायत्री राठौड ने बुधवार को सचिवालय में सुजानगंगा नहर के विकास हेतु गठित मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए सुजानगंगा नहर के स्वरूप को निखारने की कार्य योजना के संबंध में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए।
प्रमुख शासन सचिव ने अधिकारियों को सुजानगंगा नहर का चरणबद्ध रूप में विकास करने के लिए आवश्यक बजट जारी कराने की कार्यवाही विभागीय स्तर पर शीघ्र करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नहर का जीर्णोंद्धार, संरक्षण, सौन्दर्यीकरण एवं अन्य विकास कार्य राज्य पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के माध्यम से करवाए जाएं। बैठक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों ने सुजानगंगा नहर का विकास तथा किले की मोटवाल के जीर्णोद्धार के साथ ही क्षतिग्रस्त सड़क के सुधार कार्यों के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने पर भी सहमति दी है।
उल्लेखनीय है कि लोहागढ़ किले की सुरक्षा के लिए 1733 ईस्वी में सुजानगंगा नहर का निर्माण किया गया था। यह नहर करीब 8 साल में बनकर तैयार हुई थी। इसके लिए लगभग 650 कारीगरों ने रात-दिन काम किया था। नहर करीब 200-250 फुट चौड़ी और करीब 30 फुट गहरी है। बैठक में पर्यटन निदेशक डा. रश्मि शर्मा, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक डा. महेन्द्र खड़गावत पर्यटन विभाग एवं भरतपुर जिला प्रशासन के अधिकारी उपस्थित रहे।