
अब नजर आने लगा है पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का सकारात्मक रुख
क्या हंस कर बात कर लेने से अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच व्यक्तिगत दुश्मनी खत्म हो जाएगी
जयपुर। 15 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, छह केंद्रीय मंत्रियों, छह मुख्यमंत्रियों आदि वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में भजनलाल शर्मा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद की शपथ ले ली। उन्होंने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद सचिवालय में पहुंचकर मुख्यमंत्री का पद भी ग्रहण कर लिया। अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी दे दिए। लेकिन इसके साथ ही नए सीएम के सामने श्रीकरणपुर विधानसभा चुनाव उपचुनाव में भाजपा को जीत दिलाने की चुनौती भी खड़ी हो गए हैं। मालूम हो कि कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के बाद श्रीकरणपुर का विधानसभा चुनाव निरस्त कर दिया गया था। लेकिन अब निर्वाचन विभाग ने इस क्षेत्र में नए सिरे से चुनाव कराने की घोषणा कर दी है। निर्वाचन विभाग के अनुसार 19 दिसंबर को नामांकन का अंतिम दिन होगा।
पांच जनवरी को मतदान होना है। निर्वाचन विभाग के अनुसार भाजपा और अन्य दलों के प्रत्याशी पूर्ववर्ती ही रहेंगे सिर्फ कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार को ही नामांकन की इजाजत होगी। कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर के पुत्र रुपेंद्र सिंह कुन्नर को ही उम्मीदवार घोषित किया है। कहा जा सकता है कि नए सीएम को जनवरी के पहले सप्ताह में ही चुनाव की परीक्षा से गुजरना होगा। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं को नजर अंदाज कर भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री इसलिए बना की उनकी छवि एक साधारण कार्यकर्ता की थी। अब देखना होगा कि अपनी इस छवि के अनुरूप भजनलाल शर्मा किस प्रकार से श्रीकरणपुर से भाजपा को चुनाव जीतवाते हैं। इस चुनाव को जीतने के लिए कांग्रेस ने पूरा जोर लगा रखा है।
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 19 दिसंबर को जब रुपेंद्र सिंह नामांकन दाखिल करेंगे। तब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट उपस्थित रहेंगे। कांग्रेस इस चुनाव को जीत कर यह संदेश देना चाहती है कि भले ही विधानसभा चुनाव में हार हो गई हो, लेकिन आम जनता आज भी कांग्रेस को चाहती है। यदि इस चुनाव में भाजपा की हार होती है तो सीधे तौर पर नए मुख्यमंत्री की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। यही वजह है कि भाजपा भी इस चुनाव को जीतने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती। भाजपा ने भी चुनाव जीतने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। भजनलाल शर्मा की दो-तीन सभाएं भी श्रीकरणपुर में करवाने की योजना है। श्रीकरणपुर का विधानसभा चुनाव जीत कर भजनलाल शर्मा भी पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को तोहफा देना चाहते हैं।
राजे का सकारात्मक रुख

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का अब भाजपा में सकारात्मक रुख नजर आने लगा है। 15 दिसंबर को राजे पहले मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रहीं और फिर जब भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री का पद संभाला तब भी राजे ने सचिवालय में पहुंचकर नए सीएम को आशीर्वाद दिया। भजनलाल जब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो राजे ने उन के सिर पर हाथ रखकर फोटो खींचवाया। राजे ने डिप्टी सीएम दीया कुमारी और डॉ. प्रेमचंद बैरवा के पद ग्रहण के मौके पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। राजे ने यह दिखाने का प्रयास किया कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने जो निर्णय लिए हैं उनसे वे सहमत हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि लंबे अरसे बाद वसुंधरा राजे की भाजपा में सकारात्मक भूमिका देखने को मिली है।
व्यक्तिगत दुश्मनी
15 दिसंबर को जब भजनलाल शर्मा का शपथ ग्रहण समारोह हुआ तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पास पास बैठे थे। दोनों ने हंसते हुए एक दूसरे से बात भी की। ऐसा लगा कि दोनों ने अच्छी मित्रता है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या हंसते हुए बात कर लेने से व्यक्तिगत दुश्मनी खत्म हो जाएगी? सब जानते हैं कि गहलोत ने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए शेखावत के विरुद्ध भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। बहुचर्चित संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसायटी के घोटाले में सीएम ने शेखावत के साथ-साथ उनकी दिवंगत माताजी और पत्नी को भी आरोप बताया। यहां तक कहा कि संजीवनी घोटाले से कमाया गया पैसा शेखावत परिवार ने इथोपिया में निवेश किया है। गहलोत ने कहा कि शेखावत को थोड़ी भी शर्म है तो वे पीडि़तों का पैसा लौटाएं। गहलोत के इन आरोपों के खिलाफ ही शेखावत ने दिल्ली की अदालत में मानहानि का मुकदमा भी दर्ज करवाया। हालांकि मुकदमे को रद्द करवाने के लिए गहलोत ने बहुत प्रयास किए, लेकिन अदालत ने मुकदमे को खत्म करने से मना कर दिया।
गहलोत जब मुख्यमंत्री थे, तब तक तो उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपस्थिति दर्ज कराने की छूट रही, लेकिन अब जब गहलोत मुख्यमंत्री नहीं है, तब उन्हें हर तारीख पर व्यक्तिगत तौर पर दिल्ली की अदालत में उपस्थित होना पड़ेगा। शेखावत ने कहा था कि गहलोत मुझ पर आरोप लगाते तो मैं सहन कर लेता, लेकिन गहलोत ने मेरी दिवंगत माता जी पर भी आरोप लगाए हैं इसलिए मानहानि का मुकदमा दर्ज करना पड़ा है। गहलोत और शेखावत के बीच इस तरह व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप हुए उससे नहीं लगता की दोनों के बीच इतनी जल्द व्यक्तिगत दुश्मन खत्म हो जाएगी। यह सही है कि मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए गहलोत ने शब्दों की सारी सीमाएं तोड़ दी थी।
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