देश में चिकित्सकों की कमी पर पूर्ववर्ती सरकारों ने नहीं दिया ध्यान : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य क्षेत्र की अनदेखी करने को लेकर कांग्रेस सहित अन्य दलों पर निशाना साधते हुये कहा कि देश में चिकित्सकों की कमी से सभी परिचित थे लेकिन इस समस्या पर पूर्ववर्ती सरकारों ने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य उन समाज का होगा जो स्वास्थ्य सेवा में निवेश करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में 4 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुये 11 नए मेडिकल कॉलेजों और चेन्नई में 24 करोड़ रुपये की लागत निर्मित केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान के नए परिसर का उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि जीवन में एक बार आई कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य क्षेत्र के महत्व की फिर से पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस क्षेत्र में कई सुधार लाई है। आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुष्मान के रूप में गरीबों के पास उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि देश में घुटना प्रत्यारोपण और स्टेंट की लागत पहले के मुकाबले एक तिहाई हो गई है।

प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में 9 मेडिकल कॉलेजों के उद्घाटन का जिक्र करते हुये कहा कि मेडिकल शिक्षा के लिए उनकी सरकार ने अनेक कदम उठाये हैं। प्रधानमंत्री ने आंकड़ों का हवाला देते हुये कहा कि 2014 में देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे। पिछले सात वर्षों में ही यह संख्या बढक़र 596 मेडिकल कॉलेज हो गई है। यह 54 प्रतिशत की वृद्धि है। उन्होंने आगे जोड़ा कि 2014 में देश में लगभग 82 हजार मेडिकल अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट सीटें थीं। पिछले सात सालों में यह संख्या बढक़र करीब एक लाख 48 हजार सीटों पर पहुंच गई है। यह करीब 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 में देश में सिर्फ सात एम्स थे। लेकिन 2014 के बाद स्वीकृत एम्स की संख्या 22 हो गई है। साथ ही, चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए विभिन्न सुधार किए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में मैं भारत को गुणवत्ता और सस्ती देखभाल के लिए जाने-माने गंतव्य के रूप में देखता हूं। भारत में मेडिकल टूरिज्म का हब बनने के लिए जरूरी हर चीज मौजूद है। मैं यह हमारे डॉक्टरों के कौशल के आधार पर कह रहा हूं। मैं चिकित्सा बिरादरी से टेलीमेडिसिन को भी देखने का आग्रह करता हूं।

नए मेडिकल कॉलेज स्थापित होने से एमबीबीएस की 1450 सीटें बढ़ जाएंगी। नए मेडिकल कॉलेज लगभग 4,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्थापित किए जा रहे हैं, जिसमें से लगभग 2,145 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और बाकी तमिलनाडु सरकार द्वारा प्रदान किए गए हैं। जिन जिलों में नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं उनमें विरुधुनगर, नमक्कल, नीलगिरी, तिरुपुर, तिरुवल्लूर, नागपट्टिनम, डिंडीगुल, कल्लाकुरिची, अरियालुर, रामनाथपुरम और कृष्णागिरी जिले शामिल हैं।