बढ़ रही एलोपीसिया की समस्या, चक्कतों में झड़ रहे बाल, ये आनुवांशिक भी

एलोपीसिया
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कोरोनावायरस ने सेहत को कई तरह से प्रभावित किया है। अध्ययनों से पता चलता है कि भले हो आपमें संक्रमण के दौरान हल्के-मध्यम स्तर के लक्षण रहे हैं फिर भी इसके दीर्घकालिक दुष्प्रभावों का खतरा हो सकता है। कोरोना के कारण हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारियों के साथ मस्तिष्क से संबंधित कई दिक्कतें देखी जाती रही हैं। कोरोना के दुष्प्रभावों को लेकर जामा डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि जो लोग संक्रमण का शिकार रहे हैं उनमें एलोपीसिया एरीटा नामक बीमारी का खतरा दोगुना देखा जा रहा है। इसमें सिर और दाढ़ी के बाल चकत्तों में झडऩे लग जाते हैं। लोगों में बढ़ रही एलोपीसिया की समस्या, चक्कतों में झड़ रहे बाल, ये आनुवांशिक भी

पांच लाख से अधिक दक्षिण कोरियाई लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 के बाद एलोपेसिया एरीटा के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। बालों के झडऩे की ये समस्या ऑटोइम्यून बीमारी के रूप जानी जाती है जिसका जोखिम कोविड-19 का शिकार रहे लोगों में, बिना संक्रमितों की तुलना में 82त्न अधिक देखी जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही आपमें संक्रमण के दौरान हल्के स्तर के लक्षण रहे हैं फिर भी कोरोना के कारण होने वाले दुष्प्रभावों का खतरा हो सकता है।

कोविड-19 के कारण एलोपेसिया एरीटा की समस्या

कोविड
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शोधकर्ताओं ने कहा, एलोपेसिया एरीटा की समस्या संवेदनशील व्यक्तियों में वायरस, टीकाकरण और मनोवैज्ञानिक तनाव जैसे पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकता है। रिपोट्र्स में कोविड-19 के बाद इस समस्या में वृद्धि रिपोर्ट की जा रही है। शिकागो स्किन क्लिनिक में त्वचा विशेषज्ञ डैनिलो डेल कैंपो ने अध्ययन के निष्कर्षों को आश्चर्यजनक बताया है। वह कहते हैं, जो कुछ भी प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है वह अन्य समस्याओं को भी ट्रिगर कर सकता है। एलोपेसिया एरीटा मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से उत्पन्न होता है। पहले के भी अध्ययनों में इस बात को लेकर चर्चा होती रही है कि कोरोनावायरस प्रतिरक्षा प्रणाली को असामान्य रूप से ट्रिगर करता है।

कोरोना का बालों की कोशिकाओं पर असर

एलोपीसिया
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अध्ययनकर्ताओं ने बताया, कोरोना संक्रमण से साइटोकिन्स की मात्रा बढ़ती हुई देखी गई है जिसके भी कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं। साइटोकिन्स एक प्रकार के प्रोटीन होते हैं जो अन्य प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं और रक्त कोशिकाओं की वृद्धि और गतिविधि को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण होते हैं। इसकी अधिकता के कारण अनजाने में बालों की कोशिकाएं भी लक्षित हो जाती हैं जिससे कारण बालों के झडऩे, पैच में टूटने की समस्या हो सकती है। वैज्ञानिकों ने कहा विभिन्न आबादी के बीच कोविड-19 और एलोपीसिया के संबंधों को स्पष्ट करने के लिए आगे और अधिक अध्ययन आवश्यक हैं।

क्या है एलोपीसिया एरीटा की समस्या?

एलोपीसिया एरीटा को मुख्यरूप से ऑटोइम्यून बीमारी मानी जाती है ये तब होती है जब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली बालों के रोम पर अटैक कर देती है। इसके कारण बालों के झडऩे का खतरा बढ़ जाता है। एलोपेसिया एरीटा आमतौर पर सिर और चेहरे को प्रभावित करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये आनुवांशिक विकार की स्थिति है। परिवार में पहले किसी को ये समस्या रही है तो अन्य लोगों में भी इसका जोखिम हो सकता है। बालों की इस समस्या के कई कारणों के अलावा कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि लंबे समय से बनी रहने वाली तनाव की स्थिति से भी एलोपीसिया का खतरा हो सकता है।

इन जोखिमों के बारे में जानिए

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ज्यादातर मामलों में एलोपीसिया एरीटा में छोटे-छोटे टुकड़ों में बाल झडऩे लगते हैं। कुछ स्थितियों में इसके कारण पूरी खोपड़ी के बाल जा सकते हैं। अध्ययनों के निष्कर्ष बताते हैं कि 30 साल और कम उम्र में बालों की इस समस्या का खतरा अधिक देखा जाता रहा है। हालिया अध्ययनों से पता चलता है कि कोरोना संक्रमण का शिकार रहे किसी भी उम्र वाले व्यक्ति को बालों की ये दिक्कत हो सकती है।

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