
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
पहियों पर राज महल यानी पैलेस ऑन व्हील्स, भारत की पहली लग्जरी और हेरिटेज ट्रेन है, जिसे 42 वर्ष पहले 1982 में भारतीय रेलवे और राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के संयुक्त प्रयास के रूप में लॉन्च किया गया था। राजस्थान पर्यटन को बुलन्दियों में पहुँचाने और सात समन्दर पार विदेशों में भी लोकप्रिय बनाने में इस सुपर लग्ज़री रॉयल ट्रेन का अतुलनीय योगदान रहा हैं।
मीटर गेज से ब्रॉड गेज तक इसका सफ़र कई उतार चढ़ावों से भरा रहा। इसने अपनी हम सफर रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स ट्रेन को घाटे में दम तोड़ते देखा। साथ ही इस शाही ट्रेन को इसी तर्ज़ पर शुरू की गई अन्य ट्रेन्स की प्रतिस्पर्धाओं के अलावा अन्य कई अड़चनों का सामना भी करना पड़ा । साथ ही इसने कोविड के जमाने में चक्का जाम को भी झेला लेकिन इसकी लोकप्रियता में रत्ती भर की कमी नहीं आई । इसलिए भारतीय रेल पर्यटन और राजस्थान पर्यटन के लिए इस शाही ट्रेन का महत्व हमेशा कोहिनूर हीरे की तरह रहा हैं।

पैलेस ऑन व्हील्स की अवधारणा मुख्य रूप से भारत के शाही राजघरानों के स्पेशियल रेल कोचों की पृष्ठभूमि से ली गई थी, जो मूल रूप से राजस्थान की राजपूताना, बड़ौदा और हैदराबाद के निज़ाम की रियासतों के तत्कालीन शासकों के निजी रेलवे सेलून की तरह उपयोग किए जाते थे। कालान्तर में इस शाही ट्रेन में अत्याधुनिक सुख सुविधाओं वाले लग्जरी केबिन, शाही आकर्षण के उपक्रम और बेहतरीन सेवाऐं उपलब्ध कराई गई । भारतीय आतिथ्य के साथ उत्कृष्ट कोटि का देशी विदेशी भोजन इस ट्रेन की एक और खूबी रही है। राजस्थानी मनुहार और रंग बिरंगी संस्कृति के दर्शन सबसे बड़ा बोनस हैं।
पैलेस ऑन व्हील्स इस वर्ष 2024-25 के पर्यटन सीजन के लिए नई साज सज्जा के साथ सोमवार को राजस्थान से नई दिल्ली पहुँच रही हैं और बुधवार 25 सितम्बर को सायं नई दिल्ली के सफदरजंग रेल्वे स्टेशन से इस सत्र की अपने पहले सात दिनों के राजसी सफर के लिए रवाना होगी। राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) की प्रबंध निदेशक सुषमा अरोड़ा के अनुसार 25 सितंबर को सायं साढ़े छह बजे दिल्ली में विशिष्ठ अतिथियों की उपस्थिति में ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ को फ्लैग ऑफ किया जाएगा। यह ट्रेन एक हफ़्ते तक राजस्थान के प्रमुख हेरिटेज सिटी को कवर करते हुए विश्व के सात अजूबों में शामिल आगरा (उत्तर प्रदेश ) जाएगी और अगले बुधवार को पुनः नई दिल्ली लौट आयेगी। पिछलें दो तीन सालों से इस शाही ट्रेन का संचालन का दायित्व निजी क्षेत्र की एक कम्पनी ओ एण्ड एम को दिया गया है ।

शाही ट्रेन के निदेशक (ओ एण्ड एम) ने बताया कि नये रूप और रंग में सजायी गई इस शाही ट्रेन का दीदार कराने प्रदेश की पर्यटन मन्त्री दिया कुमारी को भी आमन्त्रित किया गया हैं। उम्मीद है वे ट्रेन में किए गए बदलावों को देखने के साथ ही इसमें शाही सफ़र करने वाले देशी विदेशी यात्रियों से भी भेंट करेगी। दिया कुमारी को न्योता देते समय प्रदेश के पर्यटन सचिव रवि जैन और पर्यटन आयुक्त वी पी सिंह भी मौजूद थे। यह शाही रेलगाड़ी बुधवार को दिल्ली से इस सीजन की पहली यात्रा पर रवाना होकर गुरुवार को सवेरे जयपुर आएगी तथा जयपुर से रवाना होकर शुक्रवार सुबह सवाई माधोपुर जाएगी। यहां दिनभर रुकने के बाद इसी दिन ट्रेन चित्तौड़गढ़ के लिए रवाना हो जाएगी। यहां से उदयपुर, अजमेर, जैसलमेर, जोधपुर, भरतपुर होते हुए आगरा के ताजमहल जाकर यात्रा का समापन होगा। इस पर्यटन सीजन में यह ट्रेन 32 फेरे करेगी।
आरटीडीसी की प्रबंध निदेशक सुषमा अरोड़ा ने बताया कि ट्रेन का हर साल रेनोवेशन किया जाता है। इस वर्ष ट्रेन के शाही अंदाज और लुक को और भव्यता देने के लिए इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए है। पिछले तीन महीनों में मैकेनिकल और डिजाइन संबंधी काम करके ट्रेन के लुक और फील को बेहतर बनाया गया है। इस ट्रेन में अतिथियों को 5 स्टार होटल्स से बेहतर सुविधाएँ मिलेगी। इसमें इस बार रॉयल फैमिली जैसे रूम भी डिजाइन किए गए हैं। इसमें 39 रूम डीलक्स कैटेगरी के हैं वहीं, 2 रूम सुपर डीलक्स हैं। एक प्रेसिडेंशियल सुइट है। ट्रेन में दो बार, दो रेस्टोरेंट और स्पा की सुविधा भी दी गई है। टूर में गेस्ट को राजस्थान के अलग-अलग शहरों में घूमने के लिए वॉल्वो कोच के साथ गाइड की सुविधा भी मिलेगी।

25 सितंबर से फिर पटरियों से दौड़ने वाली इस शाही रेल में शीशमहल, गोल्डन थीम, दीवारों में चांदी और पीतल का कामकिया गया हैं। सबसे बड़ा बदलाव महाराजा रेस्टोरेंट में किया गया है तथा इसे शीश महल के रूप में तैयार किया गया है। खास बात है कि इसे उन्हीं कारीगरों ने तैयार किया, जिनके पूर्वजों ने आमेर का शीश महल बनाया था।वहीं, महारानी रेस्टोरेंट को गोल्डन थीम पर सजाया गया है। जिम को बदलकर प्रेसिडेंशियल सुइट तैयार किया गया है। इसका सात दिन का किराया 39 लाख रुपए है। हर डिब्बे में स्मोक डिटेक्टर भी लगाए गए हैं। इस ट्रेन को चलाने वाले निजी कंसोर्टियम ने इसकी सुन्दरता में सुधार लाने तथा वातानुकूलन प्रणाली को दुरुस्त करने पर 2 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
ट्रेन का संचालन करने वाली निजी कंपनी ओ एण्ड एम के डायरेक्टर भगत सिंह ने बताया कि पहले ट्रिप में हमारे साथ 30 विदेशी मेहमान जाएंगे। ट्रेन में एक रूम (केबिन) का सबसे सस्ता पैकेज 12 लाख रूपए है। इसकी खासियत है की हम इस ट्रेन के जरिए सात दिन में आठ शहरों को कवर करेंगे। आउटसाइड विजिट का पूरा खर्चा भी पैकेज में शामिल है।उन्होंने बताया कि पूरे राजस्थान और आगरा के ताजमहल का सड़क के जरिए टूर किया जाए तो 20 दिन का समय लगेगा। इस ट्रेन के माध्यम से यह पूरा टूर सात दिन में पूरा होता है। ऐसे टूरिस्ट प्लेस जहां ज्यादा भीड़ रहती है। उन जगहों पर भी हम ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ के गेस्ट को स्पेशल कैटेगरी में विजिट कराते हैं। उन्होंने बताया कि इस ट्रेन से आरटी डीसी को डेढ़ से दो करोड़ का रेवेन्यू होता था।

निजी कंपनी जब से ऑपरेट कर रही है तब से करीब 5 करोड़ रेवेन्यू सरकार को मिलने का उन्होंने दावा किया है। सिंह ने बताया कि इसमें रेवेन्यू और बढ़ता है तो सरकार को हम 18.5 प्रतिशत और हिस्सा देंगे। भगत सिंह ने बताया- हमारा कॉम्पिटिशन वर्ल्ड की दूसरी लग्जरी ट्रेनों से है। ट्रेन का कई बार एक्सीडेंट हो जाता है। ट्रेन में आग लगने की घटनाएं हो जाती हैं। इन्हें देखते हुए सेफ्टी के तौर पर उन एलिमेंट को यूज किया है, जो फायर फ्रेंडली नहीं है। हमने फ्लोर में इनले का मार्बल लगाया है।हमने दीवारों में मेटल का यूज किया है, जिनमें पीतल, जर्मन सिल्वर के वर्क शामिल है। हमने कुछ रूम्स में ठीकरी ग्लास का वर्क किया है।
ट्रेन में राजस्थान के पर्यटन से जुड़े हर शहर की थीम पर वर्क किया गया है। जयपुर के आर्किटेक्ट और इंटीरियर डिजाइनर सौरभ यादव और मैने मिलकर राजस्थान के अलग-अलग शहरों के आर्ट पर रिसर्च कर उसी तर्ज पर रॉयल लुक दिया है। ट्रेन के 14 सैलून 14 राजघरानों के नाम पर हैं। जो अलवर स्टेट्स, भरतपुर स्टेट्स, बीकानेर स्टेट्स, धौलपुर स्टेट्स, डूंगरपुर स्टेट्स, बूंदी स्टेट्स, कोटा स्टेट्स, जयपुर स्टेट्स, जोधपुर स्टेट्स, जैसलमेर स्टेट्स, झालावाड़ स्टेट्स, किशनगढ़ स्टेट्स, सिरोही स्टेट्स, उदयपुर स्टेट्स के नाम से हैं।
इन्हीं की आर्ट के अनुसार सैलून को सजाया गया है।राजघरानों और शहरों के आर्ट को ध्यान में रखते हुए इसके कोच में वर्क किया गया है। बूंदी शहर के आर्ट पर बूंदी केबिन का डिजाइन, भरतपुर के आर्ट पर भरतपुर केबिन को तैयार किया गया है। इसी तरह से हर जिले के आर्ट को लेकर थीम बेस्ड रूम तैयार किए हैं। इसका मकसद है कि विदेशी मेहमान हमारी संस्कृति के साथ-साथ प्रसिद्ध शहरों के आर्ट से भी रुबरू हो सके।
पहले ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ काफी बदनाम थी की इसके गेस्ट को शोरूम पर ले जाया जाता है। गेस्ट से टिप के तौर पर पैसे लिए जाते है। हमने इस बार नो टिप पॉलिसी का कॉन्सेप्ट रखा है। इसके साथ ही हम गेस्ट को किसी भी शोरूम पर लेकर नहीं जाएंगे।इस बार हमने गेस्ट के लिए दो टीम बनाई है। एक टीम गेस्ट को साइट विजिट के लिए ले जाती है। उनकी सुरक्षा के लिए राजस्थानी पोशाक में बाउंसर रहेंगे। जो गेस्ट को रॉयल फील देंगे। दूसरी पांच लोगों की टीम पहले से उन प्लेस पर तैनात रहेगी जहां गेस्ट जाएंगे। जैसे जयपुर के सिटी पैलेस, जोधपुर के मेहरानगढ़ फोर्ट हो या भरतपुर के कैला देवी वहां पर गेस्ट को किसी तरीके की गंदगी फैली नजर न आए इसका ध्यान रखेंगे।
ट्रेन के रेस्टोरेंट में शेफ कई प्रसिद्ध डिश सर्व करेंगे। साथ ही पैसेंजर्स को दाल बाटी चूरमे के साथ इंडियन, यूरोपियन और चाइनीज के लगभग 86 तरीके के लजीज व्यंजन सर्व किए जाएंगे। रेस्त्रां में इस बार मटन कोरमा, लाल मास, गिरिल्ड मोरलो पोटेटो, शाही लीची की सब्जी, वेजिटेबल चाउचाउ, ब्रेड सरप्राइज, रोस्टेड लेमन बार्बेक्यू सॉस, पालक छुपा रूस्तम, सहित बहुत से व्यंजन एड किए हैं। इसके साथ स्पा, शाही फूड के लिए रेस्टोरेंट की सुविधा मिलेगी। देखना है इस वर्ष के अन्त में होने वाले राइज़िंग राजस्थान को दृष्टिगत रखते हुए शाही रेलगाड़ी पैलेस ऑन व्हील्स का इस पर्यटन सत्र का आगाज कितना सफल और सारगर्भित रहेगा?