
जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन की शुरुआत स्विट्जरलैंड के एम्बेसडर द्वारा प्रस्तुत प्रसिद्ध ट्रायो वन वल्र्ड के प्रात: संगीत के साथ हुई। वे एक क्लासिकल क्रॉसओवर प्रोजेक्ट हैं, जो पश्चिमी शास्त्रीय पियानो और भारतीय शास्त्रीय सितार और तबले के साथ जुगलबंदी करते हैं।

अरुंधति सुब्रमण्यम को प्रतिष्ठित कन्हैयालाल सेठिया पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया। प्रसिद्ध कवि, शिक्षक, समाज सुधारक, पर्यावरणविद् और स्वतंत्रता सेनानी महाकवि कन्हैयालाल सेठिया को महाकवि कन्हैयालाल सेठिया फाउंडेशन के सहयोग से फेस्टिवल द्वारा प्रस्तुत वार्षिक पुरस्कार के माध्यम से याद किया जाता है। जूरी में नमिता गोखले, संजय के. रॉय, सुकृता पॉल कुमार, रंजीत होसकोटे और सिद्धार्थ सेठिया शामिल थे।

दिन का पहले सत्र, ‘ओपेन्हाइमर : द अमेरिकन प्रोमिथेउस’ में केय बर्ड ने अपनी किताब के माध्यम से एटमिक त्रासदी और ओपेन्हाईमर के व्यक्तित्व पर चर्चा की। केय बर्ड की किताब के आधार पर ही क्रिस्टोफर नोलन ने सुपरहिट फिल्म ‘ओपेन्हाईमर’ बनाई है। सत्र संचालक जोनाथन फ्रीडलैंड ने जब केय से पूछा कि क्या नोलन उनकी किताब से न्याय कर पाए, तो उन्होंने कहा, हां, फिल्म सच में शानदार बनी है और ये पूरी तरह मेरी किताब के साथ न्याय करती है। केय ने कहा कि ओपेन्हाईमर वर्तमान समय में और ज्यादा प्रासंगिक और महत्वपूर्ण हो जाते हैं, जब हम लगातार युद्ध और परमाणु बम की दहशत के साये में जी रहे हैं। रोबर्ट ओपेन्हाईमर की कहानी अमेरिका की राजनीति को समझने के लिए ज़रूरी है।
सत्र ‘द पेल ब्लू डॉट : चेरिशिंग अवर प्लैनेट’ में मिन्ट्रा और क्योरफिट के संस्थापक मुकेश बंसल, जी20 शेरपा अमिताभ कांत और एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री नीलकंठ मिश्रा से एनडीटीवी समूह के कार्यकारी संपादक विष्णु सोम ने संवाद किया (सैमसंग गैलेक्सी टैब एस9 सीरीज द्वारा प्रस्तुत)। अंतरिक्ष अन्वेषण के बढ़ते उद्योग और इसमें भारत के स्थान के बारे में बोलते हुए, अमिताभ कांत ने कहा, हमें अंतरिक्ष पर्यटन के लिए अंतरिक्ष व्यवसाय में नहीं होना चाहिए, बल्कि अपने नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए होना चाहिए। पैनल ने उस भूमिका पर प्रकाश डाला जो निजी क्षेत्र और, सबसे महत्वपूर्ण बात, भारत के युवाओं को अंतरिक्ष अन्वेषण के अनुसंधान में निभानी चाहिए। मुकेश बंसल, जिन्होंने भारत की पहली निजी अंतरिक्ष कंपनी, स्काईरूट को भी फंडेड किया है, ने कहा, बहुत से युवा उद्यमी सचमुच समझ रहे हैं कि आकाश की सीमा है।
‘द पावर ऑफ मिथ’ में, आनंद नीलकंठन ने सत्यार्थ नायक (द वीक द्वारा प्रस्तुत) के साथ हिंदू ग्रंथों पर चर्चा की। ब्लॉकबस्टर बाहुबली त्रयी के लेखक आनंद नीलकंठन ने ईश्वर के बारे में अपने विचार को समझाया और बताया कि कैसे यह औपनिवेशिक युग के दौरान अंग्रेजों द्वारा विकसित एक ईश्वर, एक हिंदू की अवधारणा से काफी अलग है। नीलकंठन ने कहा, हमारी सभी परंपराएं, यदि आप देखें, सभी बहसें हैं, गीता एक बहस है। गीता कृष्ण द्वारा थोपी गई बात नहीं है कि मैं जो चाहता हूँ तुम उसका पालन करो अन्यथा तुम अनन्त नरक में जलोगे। वह ऐसा कभी नहीं कहते। सत्र के अंत में, नीलकंठन ने अपनी नई रिलीज, असुर टेल ऑफ़ द वेंक्विश्ड का उल्लेख किया, और यह कैसे विभिन्न पौराणिक ग्रंथों में रावण की कथाओं को उजागर करता है।
सत्र ‘बैन्ड, बन्र्ड एंड सेंसर्ड’ में उन किताबों पर चर्चा हुई, जिन्हें प्रशासन और समाज ने खतरनाक मानकर प्रतिबंधित किया, जला दिया और सेंसर किया। सत्र की शुरुआत में वरिष्ठ लेखिका मृदुला गर्ग ने अपने उपन्यास ‘चित्तकोबरा’ पर बात की। ‘चित्तकोबरा’ का प्रकाशन 1979 में हुआ था, और इस उपन्यास की वजह से लेखिका पर अश्लीलता का आरोप लगाकर, उन पर पुलिस केस किया गया। इस मृदुला ने कहा, अपने पति को कमोडिटी के रूप में इस्तेमाल करना उस नायिका का गुनाह था। उन्होंने आगे कहा कि पुलिस के मेरे घर आने से मैं और ज़्यादा निडर बनी। नवदीप सूरी ने अपने दादा नानक सिंह की कविता ‘ख़ूनी बैसाख’ के सन्दर्भ में कहा कि वो लम्बी कविता जलियांवाला हत्याकांड की त्रासदी पर लिखी गई थी, और तत्कालीन सरकार ने 1919 में उसकी सारी प्रतियां जला दी थीं… मैं उनकी मौलिक कृति 2019 में ब्रिटिश म्यूजियम में देख पाया।
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