सूचना तकनीक और डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल ने खोले नई शिक्षण विधाओं के द्वार- राज्यपाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 29 वां दीक्षांत समारोह आयोजित

कुलाधिपति एवं राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान सूचना तकनीकी और डिजिटल माध्यमों ने परम्परागत शिक्षण के साथ-साथ शिक्षण की नई विधाओं के द्वार खोले हैं। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा जगत में इसका बखूबी उपयोग किया जा रहा है, किन्तु डिजिटल माध्यम से शिक्षण-कौशल और अधिगम दोनों का प्रक्रियागत और प्रभावशीलता की दृष्टि से सही मूल्यांकन करने की भी जरूरत है।

राज्यपाल मिश्र उदयपुर प्रवास के तीसरे दिन बुधवार को मोहन लाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के 29 वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर विवेकानंद सभागार में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति प्राचीन भारतीय शिक्षा-पद्धति से प्रेरित है। इसमें विद्यार्थी को अपने विषय के साथ बहुत से अन्य विषयों की शिक्षा प्राप्त करने के अवसर देने पर बल दिया गया है, जिससे विद्यार्थियों का चहुँमुखी विकास होगा।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों हमारी संस्कृति और ज्ञान-परंपरा की पीठ हैं इसलिए यहाँ पर संविधान के हमारे आदर्शों की भी शिक्षा सभी स्तरों पर प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में शोध की ऐसी परम्परा विकसित की जानी चाहिए, जिसका लक्ष्य मानव-कल्याण हो। उन्होंने विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों को भी समय-समय पर अपडेट किए जाने का सुझाव दिया।

समारोह के विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने कहा कि नए कॉलेज खोलने का विषय हो या जरूरतमंद बच्चों को छात्रवृत्ति देने का मुद्दा। नए शिक्षकों की नियुक्ति हो या संसाधन विकास करने का विषय हर क्षेत्र में सरकार ने उच्च शिक्षा को मजबूती देने के लिए अथक प्रयास किए हैं। सरकार नए पदों का सृजन कर रही है और भर्ती की प्रकिया भी शीघ्र शुरू की जाएगी।

इस अवसर पर ऑनलाइन जुड़े उच्च शिक्षा संस्थान मैरीलैंड, यूएसए के सलाहकार डॉ. फ्रैंक एफ. इस्लाम ने दीक्षांत उद्बोधन में अपनी भारत से लेकर अमेरिका तक की यात्रा के सबक साझा किए। उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा को अपनी महानतम क्षमताओं के विकास के साधन के रूप में सोचना चाहिए।

ऑनलाइन जुड़े भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति को सभ्य और नम्र बनाती है हम सभी को अपनी शिक्षा को देश के नव निर्माण और समाज के उन्नयन में लगाना चाहिए।

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