विदेश में छुट्टियां मनाने वाले राहुल और जवानों के साथ दिवाली मनाने वाले मोदी बीच है मुकाबला : अमित शाह

अमित शाह
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काराकाट। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि इस लोकसभा चुनाव में मुकाबला थोड़ी गर्मी बढ़ते ही विदेश में छुट्टियां मनाने के लिए चले जाने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सरहद पर तैनात जवानों के साथ दिवाली मनाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच है। बिहार के काराकाट संसदीय क्षेत्र से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ‘‘कल छह चरण के चुनाव समाप्त हो गये। मेरे पास पांचवें चरण की रिपोर्ट है। पांच चरण में ही मोदी जी 310 सीट जीत चुके हैं। यह छठा और सातवां चरण 400 सीट का आंकड़ा पार कराने का है।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘चांदी के चम्मच’’ के साथ पैदा हुए राहुल गांधी के मुकाबले ‘अति पिछड़ा परिवार’ से आने वाले मोदी ने शीर्ष पद तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है और उन्हें एक वक्त अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए चाय भी बेचनी पड़ी थी। शाह ने कहा, ‘‘यह मुकाबला एक ओर थोड़ी गर्मी बढ़ते ही विदेश में छुट्टियां मनाने के लिए चले जाने वाले राहुल गांधी और दूसरी ओर 23-23 साल तक दीपावली की छुट्टी लिए बगैर सरहद की सुरक्षा में तैनात जवानों के साथ मिठाई खाने वाले नरेन्द्र मोदी के बीच है।’’

पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने कांग्रेस पर ‘‘पाकिस्तान के परमाणु बमों से डरने’’ का आरोप लगाते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाली उनकी सरकार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को लेकर रहेगी जो ‘‘हमारा था, हमारा है और हमारा रहेगा।’’ शाह ने भाजपा का विरोध करने वाली पार्टियों के अपने शासन वाले राज्यों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के हिस्से में कटौती कर ‘‘मुसलमानों को’’ आरक्षण प्रदान करने के लिए उनकी आलोचना करते हुए कहा कि मोदी ने इसे खत्म करने का संकल्प लिया है।

उन्होंने विपक्षी दलों पर यह भी आरोप लगाया कि वे अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का विरोध कर रहे थे। राजग उम्मीदवार उपेन्द्र कुशवाहा का काराकाट में मुख्य रूप से मुकाबला भाकपा माले के प्रत्याशी से है। शाह ने लोगों को उस नक्सली हिंसा की याद दिलाई जो कुछ दशक पहले बिहार को सुर्खियों में रखती थी और आगाह किया कि वामपंथी पार्टी की जीत से ऐसी घटनाएं दोहरायी जा सकती हैं।