खेल अकादमी से डॉ. रामधन सिंह का नाम हटाने के प्रयास पर सर्व समाज में भड़का आक्रोश

कुलपति को ज्ञापन सौंपा
कुलपति को ज्ञापन सौंपा
  • पूरा मामला षडयंत्र का, भूमि से जुड़ा हुआ है मामला कुलपति डॉ बलराज सिंह

  • डॉ रामधन सिंह का नाम हटाने का किया ज्ञापन

  • व्यापक मंडल अध्यक्ष अनिल कुमार जैन ने मानी अपनी भूल, लिखित ज्ञापन लिया वापस

जयपुर। राव बहादुर डॉ. रामधन सिंह के नाम पर श्री कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय, जोबनेर के खेल स्टेडियम का लोकार्पण तत्कालीन राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा किया गया था। यह निर्णय विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट द्वारा सर्वसम्मति से इस आधार पर लिया गया था कि डॉ. रामधन सिंह ने भारतीय कृषि क्षेत्र में ऐसे अनुसंधान किए जिनकी बदौलत 100 करोड़ से अधिक लोगों को भुखमरी से बचाया गया। भारी आक्रोश के बीच श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलराज सिंह को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि खेल स्टेडियम का नाम डॉ. रामधन सिंह के नाम से ही रहेगा — इस नाम के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। भारी संख्या में सरपंच संघ, ग्रामीण, छात्र संघ अध्यक्षों, छात्र-छात्राओं और विश्वविद्यालय के स्टाफ ने इस समर्थन में कुलपति को ज्ञापन सौंपा।

पिछले शनिवार, दिनांक 3 मई 2025, कुछ समूहों ने कुलपति को ज्ञापन देकर स्टेडियम का नाम बदलने की माँग की थी। इसके विरोध में जोबनेर क्षेत्र के 30 से अधिक प्रधान सरपंचों व पंचायत समिति अध्यक्षों ने भी ज्ञापन सौंपते हुए स्पष्ट किया कि यदि इस महान वैज्ञानिक का नाम हटाया गया, तो यह उनकी आत्मा का अपमान होगा। स्थानीय लोगों का मानना है कि विरोध करने वाले लोग उनके ऐतिहासिक योगदान से अनभिज्ञ हैं। छात्र समुदाय और कृषि क्षेत्र में भारी आक्रोश व्याप्त है। विद्यार्थियों ने चेतावनी दी है कि यदि नाम परिवर्तन जैसा कोई निर्णय लिया गया, तो वे सड़कों पर उतरेंगे। उनका कहना है: “हम मिट जाएंगे, लेकिन यह अन्याय नहीं होने देंगे।”

विवाद का कोई आधार नहीं

श्री कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय, जोबनेर में पहले से ही कई हॉस्टल्स का नामकरण देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों – जैसे भाभा हॉस्टल, रमन हॉस्टल व पाल हॉस्टल – के नाम पर किया गया है। ये सभी वैज्ञानिक राजस्थान से नहीं थे, फिर भी उनके वैज्ञानिक योगदान के आधार पर उन्हें सम्मानित किया गया।

व्यापक मंडल का नया ज्ञापन: स्टेडियम को मिले कृषि वैज्ञानिक रामधन सिंह का नाम

व्यापक मंडल जोबनेर द्वारा पहले दिए गए ज्ञापन में जहाँ खेल स्टेडियम का नाम राव बहादुर सिंह के नाम पर रखे जाने पर आपत्ति जताई गई थी, वहीं अब मंडल ने पुनः एक लिखित ज्ञापन सौंपकर इस स्टेडियम का नाम विख्यात कृषि वैज्ञानिक स्वर्गीय रामधन सिंह जी के नाम पर रखने की माँग की है। व्यापक मंडल अध्यक्ष अनिल कुमार जैन द्वारा दिए गए पत्र में उल्लेख किया गया है कि श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर क्षेत्र में कृषि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में वर्षों से सराहनीय कार्य कर रहा है। इसी विश्वविद्यालय से जुड़े रहे वैज्ञानिक रामधन सिंह जी का योगदान कृषि क्षेत्र में अतुलनीय रहा है। उनकी सेवाओं को स्मरणीय बनाने के लिए स्टेडियम का नामकरण उनके नाम पर किया जाना न केवल उचित होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा भी देगा।

इस षड्यंत्र को भी समझना ज़रूरी

हाल ही में विश्वविद्यालय प्रशासन ने 7 बीघा अवैध भूमि धारक से छुड़ाकर पुनः बेशकीमती सरकारी भूमि पर कब्जा किया है यह लोग इस षड्यंत्र में शामिल हैं, ग़ौरतलब है कि विश्वविद्यालय के पास साक्ष्य मौजूद है, ज़मीन प्रकरण के दौरान भी कुलपति डॉ बलराज सिंह से यह लोग मिले थे।

इन्होंने दिया ज्ञापन

पूर्व नगरपालिका चेयरमैन ज्ञानचंद झांझोरिया, दिनेश निठारवाल सरपंच संघ अध्यक्ष बस्सी झाझड़ा, यतीज वर्मा सरपंच, आरहान का बास , भैरू राम देगडा सरपंच ढाणी बोराज, शारदा सेपट सरपंच कालख, पेमाराम चोपड़ा पंचायत समिति, रमेश खोखर पंचायत समिति, राजू लाखरान पंचायत समिति, सोहन सेपट सरपंच खेजडावास, रूपनारायण रूढ़ल सरपंच बोबास, हेम सरपंच बस्सी नागा, मदन ओला, कजोड़, राकेश, रमेश, सुनील, बनवारी रेवाड़ सरपंच डुंगरीकला, पेमाराम सेपट जिला परिषद सरपंच उर्मिला सुंडा उप प्रधान व आशीष कुलहरी अध्यक्ष छात्र संघ सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

डॉ. रामधन सिंह: हरित क्रांति के अग्रदूत

• जन्म: 1 मई 1891, एक सामान्य किसान परिवार में
• शिक्षा: पीएच.डी., प्राकृतिक विज्ञान एवं कृषि, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, लंदन
• कार्यकाल: 1925–1947, लायलपुर (अब पाकिस्तान) में प्रिंसिपल

प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियाँ

• गेहूं की किस्म C-306: आज भी देशभर में लोकप्रिय
• धान की किस्में: बासमती-370 और झोना-349
• गेहूं की किस्म C-591: जिसे कनाडा और मैक्सिको ने सर्वप्रथम अपनाया

नोबेल विजेता डॉ. नॉर्मन बोरलॉग ने 1963 में भारत आकर उनके चरण छूते हुए कहा:
“आपने अपनी खोजों से 100 करोड़ लोगों को भूख से मरने से बचाया।”

सम्मान और विनम्रता

• 1961: पाकिस्तान सरकार द्वारा राष्ट्रपति गोल्ड मेडल से सम्मानित
• भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें राज्यपाल पद की पेशकश की, जिसे उन्होंने यह कहते हुए ठुकरा दिया
“एक वैज्ञानिक के रूप में ही मैं देश की बेहतर सेवा कर सकता हूँ।”