
भारत में दिन-ब-दिन बढ़ते हार्ट अटैक के मामले चिंता का विषय बन रहे हैं। हर साल हजारों लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा देते हैं और इसकी मुख्य वजह है सही समय पर इलाज न मिलना और लोगों में जागरूकता की कमी। ऐसे में, गोल्डन ऑवर की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। शुरुआती एक घंटा है जब हार्ट अटैक के लक्षण पहली बार नजर आते हैं। ऐसे में, अगर इस कीमती घंटे के अंदर मरीज को सही मेडिकल मदद मिल जाए, तो उसकी जान बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
कैसे पहचानें हार्ट अटैक के लक्षण?

हार्ट अटैक के वक्त हमारा शरीर कुछ खास संकेत देता है, जिन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इनमें शामिल हैं।
छाती में तेज दर्द: अक्सर यह दर्द बीच छाती में होता है और बाएं हाथ, गर्दन या जबड़े तक फैल सकता है।
सांस लेने में तकलीफ: ऐसा महसूस हो सकता है जैसे सांस अटक रही है या पूरी हवा नहीं मिल पा रही है।
पसीना आना: अचानक बहुत ज्यादा पसीना आना, खासकर जब गर्मी न हो।
घबराहट और थकान: बिना किसी काम के अचानक बहुत ज्यादा घबराहट होना और जरूरत से ज्यादा थकान महसूस करना।
अफसोस की बात यह है कि हमारे देश में कई बार लोग इन लक्षणों को गैस या सामान्य कमजोरी मानकर टाल देते हैं। इस देरी से स्थिति और गंभीर हो जाती है और जान का जोखिम बढ़ जाता है।
तुरंत एक्शन है बेहद जरूरी
इस गंभीर समस्या से निपटने का एक ही उपाय है- समय पर पहचान और तेजी से इलाज। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है:
तुरंत एम्बुलेंस बुलाएं: अगर आपको या आपके आस-पास किसी को भी दिल के दौरे के लक्षण दिखें, तो बिना देर किए एम्बुलेंस को फोन करें।
फस्र्ट एड की नॉलेज: कुछ बेसिक फस्र्ट एड के बारे में जानकारी होना जरूरी है, जैसे कि मरीज को आरामदायक स्थिति में लिटाना।
नजदीकी अस्पताल: पहले से पता होना चाहिए कि आपके घर या काम की जगह के पास कौन-सा अस्पताल है जहां दिल के दौरे का इलाज उपलब्ध है।
सीपीआर की ट्रेनिंग: सीपीआर एक लाइफ सेविंग तकनीक है जो दिल का दौरा पडऩे पर मरीज की सांस और धडक़न को चालू रखने में मदद कर सकती है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी ट्रेनिंग लेनी चाहिए।
जागरूकता ही है समाधान
सरकार, हेल्थ इंस्टीट्यूशन्स और हम सभी को मिलकर हार्ट अटैक और गोल्डन ऑवर के बारे में जागरूकता फैलानी होगी। जब हर कोई इस संकट की गंभीरता और समय पर सही कदम उठाने के महत्व को समझेगा, तभी हम इस बढ़ती हुई समस्या को काफी हद तक कंट्रोल कर पाएंगे और कीमती जानें बचा पाएंगे। याद रखें, हार्ट अटैक में हर मिनट कीमती होता है। सही समय पर सही कदम उठाकर हम सचमुच किसी की जान बचा सकते हैं।