
जब हमारे शरीर में सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ते हुए ट्यूमर बना देती हैं, तो इसे कैंसर कहा जाता है। जब इसकी शुरुआत फेफड़ों की कोशिकाओं से होती है, तो इसे फेफड़ों का कैंसर या लंग कैंसर कहते हैं। फेफड़े के कैंसर की सबसे बड़ी वजह बहुत ज्यादा सिगरेट पीना है। हालांकि, आजकल वो लोग भी लंग कैंसर का शिकार हो रहे हैं, जिन्होंने सिगरेट को कभी हाथ भी नहीं लगाया है। लंग कैंसर धीरे- धीरे बढ़ता है, इस वजह से इसे भी साइलेंट किलर की कैटेगरी में रखा गया है। इलाज में देरी और लापरवाही की वजह से ये कैंसर जानलेवा भी हो सकता है।
लंग कैंसर के लक्षण

फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षण ऐसे होते हैं, जिन्हें आमतौर पर लोग मामूली समझकर इग्नोर कर देते हैं और यहीं सबसे बड़ी चूक हो जाती है। लंग कैंसर का सबसे सामान्य लक्षण खांसी है। हर तरह के उपायों के बाद भी खांसी ठीक नहीं हो रही, उलटा गंभीर होती जा रही है, तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इन लक्षणों को बिल्कुल भी न करें इग्नोर

खांसी, जो लंबे समय से चली आ रही हो। दवाइयों के बावजूद ठीक न हो रही हो।
खांसते वक्त खून आना।
हल्की- फुल्की एक्टिविटी में ही सांस फूलने लगना
सीने में दर्द
गला बैठना
बिना वजह वजन घटना
हड्?डियों में दर्द का एहसास
हर वक्त सिरदर्द रहना।
कितने तरह के होते हैं लंग कैंसर?
लंग कैंसर दो तरह के होते हैं
1. स्मॉल सेल टाइप- 10-15त्न
2. नॉन स्मॉल सेल चाइप – 85-90त्न
लंग कैंसर से बचाव के उपाय
स्मोकिंग से दूरी बनाएं।
रोजाना कुछ देर नॉर्मल के साथ ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें।
सार्वजनिक जगहों पर स्मोकिंग करना अवॉयड करें।
पेंट, डीजल जैसे टॉक्सिक केमिकल्स से खुद भी और अपने परिवार को दूर रखें।
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