
कोटपूतली से लेकर पूर्वी राजस्थान के किसानों के बीच पहुंचे डॉ. सतीश पूनियां, फूलों की बारिश कर किया भव्य स्वागत-अभिनंदन
कोटपूतली। भाजपा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां का कोटपूतली और अलवर जिले के कठूमर में किसानों और युवाओं ने भव्य स्वागत-अभिनंदन किया। डॉ. पूनियां अजेय योद्धा महाराजा सूरजमल की जयंती पर कोटपूतली में आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह को संबोधित करने पहुंचे, जहां उनका किसानों एवं युवाओं ने फूलों की बारिश कर भव्य स्वागत-सत्कार किया। समारोह को संबोधित करते हुये सतीश पूनियां ने कहा कि, हम तो वो कौम हैं जो परिश्रम और पसीने में यकीन करते हैं। समाज में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, उदारता की कमी नहीं है, दानदाताओं की कमी नहीं है, आज सहूलियतें बेहतर हैं।

जाट समाज में पहले यह मान लेते थे कि फौज में लड़ाई का काम जाट समाज का है, लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि देश की सीमा की रक्षा करने का सबसे पहले किसी ने बीडा उठाया तो वह किसान कौम थी, जाट कौम थी, जिसने भारत मां का सिर नहीं झुकने दिया। देश में अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा खेती का है, जब कोरोना में सब कुछ फेल हो गया, यह खेती थी जिसने 2.4 प्रतिशत की वृद्धि दर से इस देश के भंडार भी भरे रखे और किसी को भूखा नहीं सोने दिया और आज भी किसान कौम उसी तरीके से समर्पित है, क्योंकि उसका पसीना जब धरती पर गिरता है धरती अन्नपूर्णा बनती है।

‘जय-जवान और जय किसान’ यह नारा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था, यह नारा आप लोगों के जज्बे के कारण दिया था कि किसी को भूखा भी नहीं सोने देगी और देश की सीमाओं को सुरक्षित रखती है, वह आपकी किसान और जाट कौम है। कितनी सारी समस्याओं को पार करके एक गरीब किसान की बेटी मेहनत और परिश्रम के बूते पर जब आइएएस बनती है तो मुझे लगता है कि यह अंतरिक्ष में ऊंचाई जैसी सफलता है आपके समाज की।
जितना इतिहास मैंने पढ़ा और समझा, भारत की धरती पर कोई लोकतांत्रिक कौम थी वह किसान कौम थी, किसी पीपल के नीचे, बड़ के नीचे पांच लोग फैसला करते थे, उस गांव की 36 कौम आपके पीछे चलती थी, लेकिन अब हमारी सामाजिक सदभाव की वह मिसाल विपरीत तरीके से दी जाती है, इस बात को पहचानने की आवश्यकता है। किसान कौम लोकतांत्रिक है, समाज को एकता के सूत्र में बांधने की ताकत भी रखते हैं, अन्न के भंडार भरने से लेकर देश की सीमा की रक्षा करने की भी ताकत रखते हैं।
वीर गोकुला जाट से लेकर सर छोटूराम तक, राजा रणजीत सिंह से लेकर सरदार भगत सिंह तक, देश की जंगे आजादी से लेकर महाराजा सूरजमल तक जिन्होंने मुगलों के दांत खट्टे किये। यहां लोग महाराजा सूरजमल की तलवार का वजन बता रहे थे 65 किलो था, लेकिन मुझे लगता है कि हिन्दुस्तान और धरती का इतिहास जब तक रहेगा महाराजा सूरजमल की शहादत का वजन कोई बता नहीं पायेगा।
बुद्धि कौशल और दिमाग की लड़ाई तभी लड़ी जाएगी जब हमारी किसान कौम की पुरानी साख मजबूती से वापस आएगी, क्योंकि हम केवल किसी व्यक्ति के लिये नहीं, इस धरती के विचार के लिये हैं। धरती केवल जमीन का टुकड़ा नहीं, दुनिया के इतिहास में आपकी कौम के बारे में लिखा जाता है, बताया जाता है, उसके प्रमाण हैं, इसलिये पूरी धरती को परिवार मानकर पोषण करने का काम हमारी किसान कौम ने किया है। जरूरत इस बात की है कि वह चाहे हमारा गांव हो, बस्ती हो, शहर हो, प्रदेश हो, देश हो, हमारी कौम, परिश्रम और स्वाभिमान के साथ में लोकतंत्र भी उतना ही जुड़ा हुआ है, लोकतंत्र को अक्षुण्ण रखना और सुरक्षित रखना भी हमारी जिम्मेदारी है।
युग बदल रहा है, बदलते युग में वही व्यक्ति और वही कौम तरक्की करेगी जो एक बड़े मन के साथ में, उदारता और समरसता के साथ में, अपने इतिहास, संस्कृति और विरासत के साथ आगे बढ़ेगी। वहीं अलवर जिले के कठूमर में महाराजा सूरजमल मूर्ति अनावरण समारोह को संबोधित करते हुये सतीश पूनियां ने कहा कि, मुझे अच्छा लगा कि मंच के सामने बैठे लोगों में से आवाज आई कि महाराजा सूरजमल को पाठयपुस्तक में स्थान मिलना चाहिये, बिल्कुल उचित मांग है, इस मांग का कोई राजनीतिक सरोकार नहीं है। यह मांग किसी एक समाज की भी नहीं है, क्योंकि सर्वसमाज का जो हिन्दुस्तान में जाया है, जिनके पुरखों ने अंग्रेजों और मुगलों से लोहा लिया, आज उसी मानसिकता से लडऩे वाले किसान कौम के लोग जब अपने इतिहास को पढ़ते हैं तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं, उस इतिहास को यह सम्मान देने का सही समय है।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राजस्थान और देश के किसानों की तरफ से धन्यवाद देता हूं कि जिन्होंने किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। कार्यक्रम में जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील, विधायक रमेश खींची, पूर्व विधायक मंजीत धर्मपाल चौधरी व काफी संख्या में किसान और युवा उपस्थित रहे।