
राज्य सरकार की छवि खराब करने के अलावा कुछ नहीं, इसकी स्थापना से प्रदेश के उद्योग को लगेंगे पंख
जयपुर। राजधानी में जिस भूमि पर फिनटेक पार्क बनाया जा रहा है, उसे ढोल का बाग अथवा वन भूमि के रूप में दुष्प्रचारित कर प्रदेश सरकार की छवि खराब करने की एक साजिश है। क्योंकि जिस भूमि को ढोल का बाग मानते हुए फिनटैक पार्क की स्थापना का विरोध किया जा रहा है, वह भूमि कभी भी ना तो सरकारी भूमि थी और ना ही कभी भी रेवेन्यू रिकार्ड में वन या आरक्षित भूमि के रूप में दर्ज रही। यह भूमि प्रारम्भ से ही निजी खातेदारी भूमि थी। यह सांगानेर तहसील के राजस्व गांव ढोल का बाढ़ की है। राजनीतिक रंग देने और सरकार की स्वच्छ छवि धूमिल करने के लिए कुछ लोग इसे ढोल का बाग (वन) की भूमि बता रहे हैं।
अवाप्ति प्रक्रिया

औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के लिए रीको के आग्रह पर इस भूमि की अवाप्ति कार्यवाही राजस्थान भूमि अर्जन अधिनियम-1953 के प्रावधानों के तहत की गई थी। अवाप्ति के समय भी सिर्क एक-दो लोगों ने पेड़ों को अवैध रूप से काटने का आरोप लगाया था। यदि यह वन भूमि होती तो कानूनन अवाप्त नहीं की जा सकती थी। अवार्ड के बाद भूमि रीको के नाम जमाबंदी में अंकित हो गई, तभी से रीको के नाम चली आ रही है। यह औद्योगिक भूमि के रूप में दर्ज है। ऐसे वन एवं बाग के रूप में दर्ज होने का इसका प्रश्न ही नहीं उठता।
वास्तविक तथ्य

यह भूमि जयपुर मास्टर विकास योजना-2011 में औद्योगिक उपयोग के लिए आरक्षित थी, लेकिन ड्राफ्ट मास्टर प्लान-2025 में इसे आवासीय उपयोग के लिए दर्शित करने पर रीको द्वारा अपनी आपत्तियां पेश कीं, जिसे बाद में जयपुर विकास प्राधिकरण मास्टर प्लान की 62वीं बैठक 28 मार्च 2017 को इसे पुन: औद्योगिक दर्शाए जाने की स्वीकृति दी। परिणामस्वरूप यह भूमि मास्टर प्लान-2025 के अनुसार वर्तमान में औद्योगिक है।
मास्टर प्लान के अनुरूप अप्रदूषणकारी उद्योगों की स्थापना करने में इस क्षेत्र में कोई अड़चन नहीं है। पूर्व में भी इस भूमि को औद्योगिक प्रयोजनार्थ अर्थात जैम पार्क की स्थापना के लिए 10 मार्च 1988 को आवंटित किया गया था। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी 2013 को रीको की दीवानी अपील संख्या 7254/2003 में पारित निर्णय में उक्त भूमि को पूर्व में आवासीय प्रयोजन में उपयोग लेने पर विकासकर्ता सोसायटी को गलत ठहराया और अवाप्ति प्रक्रिया को सही ठहराते हुए आदेश पारित किया।
जानिए इसकी सच्चाई …
दुष्प्रचार : उक्त भूमि के बारे में यह दुष्प्रचारित किया जा रहा है कि यहां हजारों की संख्या में पेड लगे हुये है तथा सैकड़ों प्रजातियों के दुर्लभ पशु-पक्षी इन पेड़ों पर निवास करते है यदि फिनटेक पार्क स्थापित होता है तो पेडों के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी मुश्किल होगी।
वास्तविक तथ्य : फिनटेक पार्क की स्थापना 38.389 हैक्टेयर पर की जा रही है। यह भूमि मौके पर पूरी तरह खाली है। पिछले कई वर्ष से उपयोग में नहीं आने के कारण मौसम जनित पेड़-पौधे यहां उग आए हैं। फिनटैक की प्लानिंग में पेड़ों को यथासंभव रखे जाने तथा प्रस्तावित रोड नेटवर्क में आने वाले पेड़ों को पुन: प्रतिरोपण करने का निर्णय लिया है। वर्तमान में मौके पर कोई भी दुर्लभ प्रजाति के पशु-पक्षी यहां नहीं हैं।
फिनटेक स्थापित होने के राज्य को लाभ
जयपुर में फिनटेक पार्क की स्थापना होने से बैकिंग, इंश्योरेंस और आईटी कम्पनियां राजस्थान का रुख करेंगी, जिससे राजस्थान का विकास तेजी से होगा। वहीं, स्थानीय बच्चों को उनके राज्य में ही नौकरी के अवसर मिलेंंगे। रोजगार के अधिक अवसर सृजित होने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
यह भी पढ़ें : भीलवाड़ा के टेक्सटाइल उद्योग को लगेंगे पंख, ऊर्जा लागत 50 फीसदी घटने की आशंका