विवेकानंद ग्लोबल विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ

विवेकानंद ग्लोबल विश्वविद्यालय
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“जस्ट एग्रीकल्चर” पत्रिका का भी हुआ विमोचन

जयपुर — विवेकानंद ग्लोबल विश्वविद्यालय, जयपुर एवं “जस्ट एग्रीकल्चर” पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन “कृषि, बागवानी एवं वानिकी: मार्ग, विस्तार रणनीतियाँ एवं दृष्टिकोण” का भव्य शुभारंभ हुआ। यह सम्मेलन 18 से 20 अप्रैल 2025 तक चलेगा, जिसमें देश-विदेश के वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, किसान प्रतिनिधियों और कृषि उद्यमियों की सक्रिय भागीदारी हो रही है।

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सम्मेलन के मुख्य अतिथि कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर के कुलपति डॉ बलराज सिंह थे। विशिष्ट अतिथियों में आईसीएआर–सीआईएएच बीकानेर के निदेशक डॉ. जगदीश राणे तथा “जस्ट एग्रीकल्चर” के संस्थापक डॉ. डी. पी. एस. बड़वाल शामिल रहे।

अपने मुख्य संबोधन में डॉ बलराज सिंह ने कहा, “भारतीय कृषि प्रणाली को आत्मनिर्भर बनाने के लिए टिकाऊ कृषि तकनीकों, जैविक खेती, स्मार्ट कृषि यंत्रों और युवा किसानों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना होगा। अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों से सीखकर हमें स्थानीय समाधान तलाशने होंगे।”

सम्मेलन के प्रथम दिन के तकनीकी सत्रों में जलवायु-स्मार्ट कृषि तकनीक, नवाचार आधारित बागवानी प्रबंधन, वन आधारित आजीविका मॉडल, कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग और कृषि शिक्षा में युवाओं की भूमिका जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने प्रस्तुति दी। इस अवसर पर देश-विदेश से 500 से अधिक शोधार्थियों, विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने पंजीकरण कराया।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुई। कृषि विभाग के डीन प्रो. होशियार सिंह ने पुष्पगुच्छ और स्मृति चिह्न भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि युवा वैज्ञानिकों को संरक्षित खेती के लिए डॉ बलराज सिंह जैसे वरिष्ठ वैज्ञानिकों से सीखना चाहिए, साथ संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को आगे आना चाहिए

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. एन. डी. माथुर ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “यह अंतर्राष्ट्रीय मंच ज्ञान के आदान-प्रदान और नीति निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।” वाईस चेयरपर्सन डॉ. के. आर. बगड़िया ने कहा कि “जैविक आधारित कृषि से न केवल हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा, बल्कि यह युवा पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनाने में भी मददगार साबित होगा।”

डॉ. डी. पी. एस. बड़वाल ने कहा, “भारत एक कृषि प्रधान देश है, और अब समय आ गया है कि हम आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाकर कृषि को समृद्ध और टिकाऊ बनाएं।”
डॉ. जगदीश राणे ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि और कृषि भूमि में कमी के चलते कृषि, बागवानी और वानिकी में नवाचार व नीतिगत सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया।

सम्मेलन के पहले दिन 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें स्नातकोत्तर छात्र, शोधार्थी, कृषक प्रतिनिधि और एनजीओ कार्यकर्ता शामिल थे। पोस्टर प्रजेंटेशन, नवाचार स्टॉल और कृषि उत्पाद प्रदर्शनी को भी विशेष सराहना मिली। विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत कृषि मॉडल और स्वदेशी बीज संग्रहण प्रदर्शनी प्रमुख आकर्षण रहे।

इस अवसर पर “जस्ट एग्रीकल्चर” पत्रिका का औपचारिक विमोचन भी किया गया।

कॉन्फ्रेंस के सह-संयोजक एवं कृषि विभागाध्यक्ष डॉ. राजू जाखड़ ने बताया कि आगामी दो दिनों में शोध पत्रों की प्रस्तुति, पैनल चर्चा, कार्यशालाएं एवं केस स्टडी आधारित सत्र आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए विश्वास जताया कि यह सम्मेलन कृषि क्षेत्र को नई दिशा देगा।

कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रवीण चौधरी ने सभी आगंतुकों एवं अतिथियों का आभार प्रकट किया।