ईयू के बीच ट्रेड डील मुश्किल में, ब्रिटेन के पीएम ने इसके लिए 15 अक्टूबर तक की डेडलाइन तय की

दोनों एक दूसरे पर डील को गंभीरता से नहीं लेने के आरोप लगा रहे

लंदन। ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन (ईयू) के बीच ट्रेड डील मुश्किल में हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसके लिए 15 अक्टूबर तक की डेडलाइन तय कर दी है। अगर इतने समय में डील नहीं हुई तो ब्रिटेन बिना शर्त ईयू से पूरी तरह अलग हो जाएगा। जॉनसन ने कहा है कि समझौता तभी हो सकता है जब ईयू दोबारा से विचार करे। जबकि, ईयू ने ब्रिटेन पर डील को गंभीरता से नहीं लेने आरोप लगाए हैं।

क्यों जरूरी है डील?

ब्रिटेन ने ईयू को 31 जनवरी को छोड़ दिया था, जिसे ब्रेक्जिट कहते हैं। हालांकि, ट्रेड डील न हो पाने की वजह से अभी ईयू के कुछ नियमों को मान रहा है। ईयू का सदस्य रहने के दौरान ब्रिटेन को यूरोपीय देशों से व्यापार में छूट मिलती थी। ब्रिटेन के हटने के बाद से आपस में व्यापार करने में कई टैरिफ लग जाएंगे। इस वजह से दोनों (ईयू और ब्रिटेन) ऐसी डील चाहते हैं कि आपस में व्यापार पर अन्य देशों की तुलना में रियायत रहे।

हालांकि, अभी बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। ब्रिटेन और ईयू के बीच इस साल दिसंबर तक ही पुराने नियमों के मुताबिक व्यापार होगा। अगर डील नहीं हुई तो दोनों को इसका नुकसान होगा, लेकिन ब्रिटेन पर इसका ज्यादा असर होगा।

दिक्कत कहां पर?

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक दो मुद्दों पर विवाद है। ईयू चाहता है कि यूरोपीय देशों को ब्रिटेन के समुद्र में मछली पकडऩे का अधिकार मिले और ब्रिटेन सरकार उद्योगों को सहायता दे। ब्रिटेन इस पर राजी नहीं है। ब्रिटेन के मुख्य वार्ताकार डेविड फ्रॉस्ट की ईयू के वार्ताकार माइकल बर्नियर की मंगलवार को लंदन में आठवें दौर की बातचीत होगी।

यह भी पढ़ें-जमाल खशोगी के हत्यारों की मौत की सजा को सऊदी कोर्ट ने कैद में बदली

ब्रेक्जिट क्या है?

यूरोपियन यूनियन में 28 देशों की आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी है। इसके तहत इन देशों में सामान और लोगों की बेरोक टोक आवाजाही होती है। ब्रिटेन के लोगों को लगता था कि ईयू में बने रहने से उसे नुकसान है। उसे सालाना कई अरब पाउंड मेंबरशिप के लिए चुकाने होते हैं। दूसरे देशों के लोग उसके यहां आकर फायदा उठाते हैं। इसके बाद ब्रिटेन में वोटिंग हुई। ज्यादातर लोगों ने ईयू छोडऩे के लिए वोट दिया। इसके बाद 31 जनवरी 2020 को ब्रिटेन ने ईयू छोड़ दिया था। लेकिन, अभी भी आपस में व्यापार कैसे होगा, इस पर फैसला नहीं हुआ है।