समस्याओं को दावत दे रहा है बढ़ता प्रदूषण

ओन्लीमाई हेल्थ एक स्पेशल कैंपेन लेकर आ रहा है, जिसमें हम आपके साथ वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इस कैंपेन में आपको उन सभी बीमारियों के इलाज और बचाव के बारे में भी बताया जाएगा। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से वायु प्रदूषण से होने वाली घातक बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं।

इन दिनों वायु प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ रहा है। देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरे भारत इसका असर आपको देखने को मिल सकता है। ऐसे में सांस लेना भी हमारे लिए जहर के समान हो चुका है। सुबह उठकर ताजी हवाओं का आनंद लेना अब महज एक सपना रह गया है, क्योंकि सुबह की हवा ताजी नहीं, बल्कि जहरीली हो चुकी है।

इन हवाओं में सांस लेने से अच्छा है घर के अंदर कैद रहना। जी, हां सुबह चारों ओर धुंधलापन ओस या फिर पानी की बूंदें नहीं, बल्कि प्रदूषण का साया है। यह हवा बच्चों और बुजुर्गों के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक साबित हो रही हैं। इसके साथ ही ऐसे लोग, जो अस्थमा, दिल की बीमारी या फिर किसी अन्य बीमारी से जूझ रहे हैं, उनके लिए काफी घातक हो रहा है। इतना ही नहीं, ये हवाएं एक स्वस्थ व्यक्ति को भी बीमार कर रही हैं। इस प्रदूषित हवाओं से कई जानलेवा बीमारी के होने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ रहा है।

अस्थमा का है सबसे ज्यादा खतरा

दूषित हवा में सांस लेना बहुत ही खतरनाक साबित हो रहा है। इन हवाओं में सबसे ज्यादा अस्थमा जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इसके साथ ही जो लोग अस्थमा से पहले से पीड़ित हैं, उनके लिए यह जानलेवा साबित हो रही हैं। बढ़ते प्रदूषण में सांस लेने की वजह से उनके सांस की नलियों में सूजन की समस्याएं आ जाती हैं, जिससे अस्थमा रोगी की परेशानी काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

बढ़ती है दिल की बीमारी

वायु प्रदूषण के कारण शरीर पर कई विपरीत प्रभाव पड़ते हैं। इसके कारण हमारा हृदय भी प्रभावित होता है। दूषित हवाओं में सांस लेने से हमारे दिल में रक्त संचार सही ढंग से नहीं हो पाता है। इससे खून की धमनियां रुक जाती हैं। इससे हार्ट अटैक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। अगर आप हृदय रोग से पीड़ित हैं, तो बाहर जाने से बचे रहें। कोशिश करें कि जब तक वायु प्रदूषण हैं, तब तक घर में ही रहें।

निमोनिया

प्रदूषित हवा में कई हानिकारण बैक्टीरिया होते हैं, जो शरीर के लिए नुकसानदायी हो सकते हैं। जब हम सांस लेते हैं, तो यह हानिकारक बैक्टीरिया हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ये खतरनाक बैक्टीरिया निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी को दावत दे सकता है। ऐसे में अपने बच्चों को घर से बाहर ना जाने दें।

गर्भ के बच्चों के लिए भी खतरनाक

प्रदूषित हवा गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी खतरनाक हो सकता है। यह शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास पर असर डाल सकता है। इन हवाओं से शिशु को जन्म से ही कई तरह के विकार हो सकते हैं। जैसे- इम्यून सिस्टम कमजोर, सर्दी जुकाम होना, निमोनिया होना जैसी समस्याएं जन्म से ही उन्हें घेर सकती हैं। इसलिए कोशिश करें कि प्रदूषित हवा में गर्भवती महिलाओं को बाहर ना जाने दें।

फेफड़ों का कैंसर

इन दूषित हवाओं में कई तरह की जहरीली गैस हो सकती हैं, जो फेफड़ों के कैंसर को जन्म दे सकती हैं। इस वजह से अपने फेफड़ों को साफ रखें। हमें गर्म पानी से गरारा करेँ। दूषित हवाओं में सांस लेने से फेफड़ों की कोशिकाएं सही से काम नहीं करती हैं, इससे शरीर मे सही से ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है।

क्या कहते हैं डॉक्टर

डॉ अरुणेश कुमार ,सीनियर कंसल्टेंट – पल्मोनोलॉजी एंड हेड-पारस चेस्ट इंस्टिट्यूट, पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम का कहना है कि हर साल की तरह एक बार फिर से ठण्ड के मौसम की शुरुआत के साथ प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। कोविड-19 की समस्या अभी भी व्याप्त है। बढ़ते प्रदूषण के स्तर से फेफड़ों की सभी बीमारियाँ ख़राब हालत में जा सकती हैं। खांसी, सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न, घरघराहट, बुखार जैसे लक्षण इस कंडीशन के सामान्य लक्षण होते हैं। लोगों को डॉक्टरों से कंसल्ट करना चाहिए ताकि लक्षणों की स्पष्ट तरीकें से पहचान हो सके। दशहरा के बाद भी प्रदुषण के स्तर में वृद्धि होने की संभावना है, इसलिए आधारभूत मैनेजमेंट प्लांट को फॉलो करना सबसे जरूरी है।

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