कोरोना वैक्सीन का परीक्षण कामों के फेर में फंसा

नई दिल्ली। स्वदेशी कोरोना वैक्सीन का परीक्षण कामों के फेर में फंस गया है। 12 में से सिर्फ एक अस्पताल में यह परीक्षण समय पर शुरू हुआ है। 11 अन्य अस्पतालों में से किसी के पास वैक्सीन की डोज नहीं पहुंची है तो किसी के यहां परीक्षण कराने वालों का पंजीयन ही शुरू नहीं हुआ है। एम्स दिल्ली की एथिक्स कमिटी से ही अब तक इस परीक्षण को अनुमति नहीं मिली है।

ऐसी स्थिति तब है जब आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने सात जुलाई तक परीक्षण से जुड़ी पंजीयन पूरा करने और 15 अगस्त से पहले दूसरे चरण का परीक्षण खत्म करके उसके परिणाम साझा करने के आदेश दिए थे।
बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ बैठक में जानकारी दी गई कि हैदराबाद के नियम में कोवाक्सिन का परीक्षण शुरू हो चुका है। जिसके परिणाम करीब 28 दिन में सामने आ सकते हैं।

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ये वैक्सीन भारत बायोटेक कंपनी के हैदराबाद में जीनोम वैली स्थित लैब में तैयार की गई है। चूहे और खरगोश पर इसका परीक्षण हो चुका है, हालांकि इस परीक्षण के परिणाम अब तक सार्वजनिक नहीं किए हैं। दूसरी तरफ सीएमसी वेल्लोर के पूर्व महामारी विशेषज्ञ डॉ. टी जैकब जॉन का कहना है कि कोरोना वायरस का बेहतर परीक्षण बंदरों पर ही किया जा सकता है।

12 अस्पताल में 12-65 वर्ष के बीच आयु के 1,125 लोगों पर परीक्षण होना है। हालांकि सीटीआरआई के आवेदन में ही कंपनी ने दोनों चरण के परीक्षण पूरा होने में एक साल और तीन महीने का वक्त लगाने की पुष्टि की है।

दिल्ली एम्स में एथिक्स कमिटी की अनुमित नहीं मिली

दिल्ली एम्स केयर सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के डॉक्टर संजय कुमार राय ने अमर उजाला से कहा कि अभी तक उनके यहां एथिक्स कमिटी में इस परीक्षण को अनुमति नहीं दी है। उन्होंने कहा देश में सबसे बड़ा परीक्षण दिल्ली एम्स में ही होगा, हालांकि संख्या अभी तय नहीं है।

हरियाणा में पंजीयन लेकिन इंश्योरेंस का इंतजार

परीक्षण की सबसे पहले घोषणा करने वाले हरियाणा के पीजीआईएमएस रोहतक की डॉक्टर सविता वर्मा का कहना है कि करीब 15 लोगों ने अब तक संपर्क किया है। हालांकि इन लोगों को अभी तक पंजीयन शुरू नहीं हो सका है और परीक्षण में शामिल लोगों की बीमा प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है।

विशाखापट्टनम में परीक्षण के कागजों पर संतुष्टि नहीं

विशाखापट्टनम के किंग जॉर्ज अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर वासुदेव ने बताया कि कंपनी से संतोषजनक दस्तावेज नहीं मिलने के कारण एथिक्स कमिटी ने अनुमति नहीं दी है।

कानपुर के अस्पताल को वैक्सीन नहीं मिली

यूपी के कानपुर नगर स्थित प्रखर अस्पताल के डॉक्टर जितेंद्र कुशवाहा ने बताया कि वैक्सीन नहीं मिलने से परीक्षण शुरू नहीं हो सके। आईसीएमआर के मुताबिक कसौली स्थित केंद्रीय प्रयोगशाला से अनुमति अभी मिली है। जल्दी वैक्सीन भेज दी जाएगी।