ट्रंप और उनके समर्थकों ने देश में राजनीतिक संकट बढ़ाया

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए सोमवार को इलेक्टोरल कॉलेज में मतदान से ठीक पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थकों ने देश में राजनीतिक संकट बढ़ा दिया है। दो रोज पहले सुप्रीम कोर्ट में टेक्सास राज्य की याचिका खारिज होने के बाद ट्रंप खेमे के पास मौजूद कानूनी विकल्प लगभग खत्म हो गए हैं। लेकिन कोर्ट के फैसले को स्वीकार करने के बजाय ट्रंप और उनके समर्थकों ने नए मोर्चे खोल दिए हैं।

सोमवार तड़के डोनाल्ड ट्रंप ने एक ट्वीट में सीधे सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधा। कहा- ‘सुप्रीम कोर्ट का यह मूल अधिकार है कि वह विभिन्न राज्यों के बीच के मसलों पर फैसला दे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का इसके बीच न आना बेतुका है। वे डर गए और उन्होंने गुण-दोष के आधार पर इस मामले में फैसला नहीं दिया। हमारा देश इतना बुरा हो गया है।’ टेक्सास राज्य ने चार दूसरे राज्यों में हुए मतदान की वैधता को चुनौती दी थी। इन सभी राज्यों से डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन जीते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। उसके बाद कई शहरों में ट्रंप समर्थक सड़कों पर उतर आए।

रविवार को वॉशिंगटन में ट्रंप समर्थक धुर दक्षिणपंथी गुट प्राउड बॉयज और ट्रंप विरोधी एटिंफा गुट के बीच सीधे सड़कों पर हिंसा हुई। इसमें चार लोगों पर चाकू से हमला हुआ, जिन्हें अस्पताल पहुंचाना पड़ा। पुलिस ने 23 लोगों को गिरफ्तार किया। ट्रंप समर्थकों ने चुनाव नतीजे को रद्द करने की मांग करते हुए जॉर्जिया, पेनसिल्वेनिया, मिशिगन, विस्कोंसिन, नेवादा और अरिजोना राज्यों में भी प्रदर्शन किए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेताओं ने सीधे सेना से हस्तक्षेप करने और यहां तक कि देश के विभाजन की मांग उठा दी है। रिपब्लिकन पार्टी के टेक्सास राज्य के अध्यक्ष एलन वेस्ट ने एक बयान में कहा कि “कानून- व्यवस्था में यकीन करने वाले राज्यों” को अब संयुक्त राज्य अमेरिका से अलग हो जाना चाहिए।

उन्होंने कहा- (सुप्रीम कोर्ट का) ये फैसला एक ऐसी मिसाल कायम करता है, जिसका मतलब है कि राज्य अमेरिकी संविधान का उल्लंघन कर सकते हैं, जबकि उन्हें जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा। इसलिए अब शायद समय आ गया है जब कानून का पालन करने वाले राज्य एकजुट होकर एक ऐसे संघ का निर्माण करें, जो संविधान का पालन करे।