
संयुक्त अरब अमीरात तपती गर्मी से निजात पाने के लिए एक कदम आगे बढ़ गया है। वह ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के साथ ड्रोन टेक्नोलॉजी की मदद से आर्टिफिशियल बारिश करा रहा है। इस टेक्नोलॉजी में बादलों को इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है तो वे एक जगह जमा होने लगते हैं। बर्फ के क्रिस्टल का भार बढऩे से बारिश होती है।
यूएई दुनिया के सबसे गर्म 10 देशों में शामिल है। गर्मी में पारा 50 डिग्री सेल्सियस पार चला जाता है। यहां साल में सिर्फ तीन इंच औसतन बारिश होती है। इस समस्या से निपटने में कृत्रिम बारिश सहायक हो सकती है। बारिश बढ़ाने के लिए 110 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। क्लाउड सीडिंग इसका हिस्सा है।

एक आकलन के मुताबिक एक वर्ग फुट बारिश कराने की लागत करीब 15 हजार रुपए आती है। भारत में कर्नाटक सरकार ने दो साल तक क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट पर काम किया, जिसकी लागत करीब 89 करोड़ रुपए आई। नई ड्रोन टेक्नोलॉजी से उम्मीद की जा रही है कि इससे बारिश की मात्रा को और बढ़ाया जा सकेगा।