हाईटेक होगा यूडीएच : भूमाफिया पर सैटेलाइट-गूगल डाटा से लगेगा अंकुश

अतिक्रमण
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सरकारी जमीन पर अतिक्रमण रोकने, वास्तविक काबिज लोगों को पट्टा देने की राह आसान होगी

सैटेलाइट-गूगल से डाटा एकत्रित हुआ, अफसर बिना फील्ड में गए 34 साल का कब्जा चैक कर लेंगे

जयपुर। राजस्थान में अब सरकारी जमीन पर कब्जेधारी बनकर जमीन पर काबिज होने वाले भूमाफियाओं पर सरकार हाईटेक सिस्टम तैयार कर अंकुश लगाने जा रही है। वहीं इसके मार्फत बरसों से सरकारी जमीन पर काबिज वास्तविक लोगों को पट्टा देने की राह भी आसान हो जाएगी। गत सरकार के वक्त प्रशासन शहरों और गांवो के संग अभियान चलाकर 13 लाख भूखंडधारियों को पट्टे जारी किए गए थे। अब वर्तमान भजनलाल सरकार में इनकी जांच में नियमों की धारा 69-क में कई ऐसे मामले पकड़े हैं, जिनमें सालों से काबिज ना होने के बावजूद सरकारी जमीन के पट्टे खुद के नाम बनवा लिए गए। ऐसे में नगरीय विकास विभाग ने अब 1990 से काबिज वास्तविक कब्जाधारी का पता लगाने के लिए सैटेलाइट और गूगल का डाटा एकत्रित कर लिया है। गूगल से पूर्व सैटेलाइट का चलन था। ऐसे में तब का सैटेलाइट डाटा जुटाया गया है। वहीं उसके बाद का गूगल अपग्रेड डाटा इक_ा किया गया है। जिसके माध्यम से वास्तविक और फर्जी कब्जाधारियों का तुरंत पता लग जाएगा।

यूं चलेगा वास्तविक और फर्जी कब्जाधारियों का पता

निकाय निगम
निकाय निगम

सालों से सरकारी जमीन पर काबिज लोगों को सरकार नियमों में शिथिलता देकर पट्टा देती है। यह पट्टे धारा-69 क में दिए जाते हैं। अब ऐसी जमीनों पर पट्टे के लिए आवेदन करने वालों की जमीन की 1990 या इससे पूर्व काबिज होने की रिपोर्ट निकायों-निगमों को सैटेलाइट और गूगल डाटा से मिल जाएगी। ऐसे में भूमाफियाओं के नकेल कसी जा सकेगी और आमजन को पट्टा मिलने की राह आसान हो जाएगी।

भूमाफियाओं को पट्टा नहीं मिलेगा

नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा, सैटेलाइट और गूगल का डाटा एकत्रीकरण का काम हो चुका है। अब निकाय निगम आसानी से भूखंडधारी कितने सालों से काबिज है, इसकी जानकारी लगा लेंगे। भूमाफियाओं को पट्टा नहीं मिलेगा। पिछली सरकार में नियमों की आड़ में बड़े सरकारी भूखंड भी मिलीभगत कर नियमित कर दिए, इनकी जांच जारी है।

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