राजस्थानी भाषा और संस्कृति के प्रचार के लिये अनूठे कैलेंडर का हुआ लोकार्पण

अनूठे कैलेंडर का हुआ लोकार्पण
अनूठे कैलेंडर का हुआ लोकार्पण

जयपुर। राजस्थानी भाषा अर संस्कृति प्रचार मंडल, अहमदाबाद द्वारा बनाये गये वि.सं. 2081 के रंग बिरंगे कैलेंडर का लोकार्पण सुर शिवम् स्टुडियो, एलिसब्रिज, अहमदाबाद में मुख्य अतिथि महेन्द्र एम. शाह, सचिव , राजस्थान होस्पीटल, डा. नरेन्द्र भण्डारी,ईसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक और चन्द्रयान योजना के मुख्य प्रणेता, और जयपुर से पधारी विशिष्ट अतिथि डॉ. मती कविता किरण और बड़ी संख्या में उपस्थित मंडल के सदस्यों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में रंगारंग कार्यक्रम के साथ जोर-शोर से संपन्न हुआ।

कैलेंडर का लोकार्पण महेन्द्र एम शाह, मती कविता किरण तथा अन्य गणमान्य मेहमानों के कर कमलों से, मंडल सदस्यों और आमंत्रित अतिथियों की उपस्थिति में हुआ। उपस्थित सभी को कार्यक्रम के दौरान नया कैलेंडर और राजस्थानी गीतों की पुस्तक भी भेंट की गई।

मंडल के संस्थापक डॉ. सुरेन्द्र सिंह पोखरणा जो इसरो के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक भी हैं ने बताया कि हमारी राजस्थानी भाषा और संस्कृति बहुत ही समृद्धशाली और गौरवशाली है. राजस्थानी भाषा का अपना शब्दकोष है जिसमें लगभग ढाई लाख शब्द है, लगभग चार लाख पुस्तकें हैं और बहुत ही समृद्ध साहित्य है. इसमें कई हज़ारों गीत और भजन है और हज़ारों लोकोक्तियाँ और कहावतें है और लगभग ६ करोड़ से अधिक लोग भाषा का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करते हैं। हमारा मंडल भी इसकी मान्यता के लिए प्रयत्नशील है।

राजस्थान के सभी 25 सांसद तथा 200 विधायकों को राजस्थानी कैलेंडर भेंटकर तथा पत्र लिखकर उन्हें राजस्थानी भाषा को 8 वीं सूची में शामिल करवाने का अनुरोध किया है. डॉ. पोखरणा ने मंडल के उद्देश्यों तथा उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी दी। संयोजक चन्द्रशेखर माथुर ने राजस्थानी भाषा अर संस्कृति प्रचार मंडल के उद्देश्य तथा भाषा और संस्कृति के प्रचार के लिए कैलेंडर की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी. चन्द्रशेखर माथुर ने बताया कि हमारा कैलेंडर वि.सं. की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ होता है।

इसकी विशेषताएं ये है कि यह सूर्य तथा चंद्र की गति की गणना पर आधारित है जिसे सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है, इस कैलेंडर में हिंदी तिथियों को महत्व दिया गया है न कि अंग्रेजी तारीखों को. सभी तीज-त्योहारों की जानकारी इसमें मिलती है. हर वर्ष राजस्थान से संबंधित अलग अलग विषय लेकर उस विषय पर सचित्र रंगीन कैलेंडर छपवाये जाते हैं. उस विषय का आलेख, लोकगीत, कहावतें उसी क्षेत्र की भाषा में राजस्थानी लेखकों द्वारा लिखा होता है।

इसमें राजस्थान से जुड़े तीज त्यौहार, रीति-रिवाज, धार्मिक स्थल, मेले, पर्यटन स्थल, पर्यावरण, किले, पहनावा वगैरा जैसे विभिन्न विषयों पर प्रायोजकों के सहयोग से हर वर्ष आकर्षक कैलेंडर छपवाया जाता है, जिसे चहुंओर अतिशय प्रसिद्धि मिल रही है. पिछले वर्ष का कैलेंडर राजस्थान में पर्यावरण की सुरक्षा थीम पर था. इस विक्रम संवत 2081 का राजस्थानी नया कैलेण्डर “राजस्थानी ब्याह शादी की रीति-रिवाज” की थीम पर है।

इसी कार्यक्रम के दौरान फालना, राजस्थान से पधारी विशिष्ट अतिथि मती कविता किरण का स्वागत-सत्कार मती डॉ. पुष्प लता शर्मा ने साल ओढ़ा कर, सुनंदा पोखरणा ने तिलक लगाकर, मती इन्दिरा नरेंद्र भण्डारी ने मंडल का स्मृति चिन्ह तथा सुनीता पटवा नें नारियल भेंट कर किया।

कविता जी ने राजस्थान के प्रवासी परिवारों का सामुहिक रुप से अपने रीति-रिवाज, अपनी भाषा और संस्कृति का सम्मान करने पर हर्ष जताते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसे ही अपनी संस्कृति का सम्मान करते रहें. उन्होंने मंडल की गतिविधियां और विशेष में राजस्थानी कैलेंडर के विषयों का चयन, गुणवत्ता और प्रभाव की भी प्रशंसा की. साथ ही उन्होंने अपनी रचना राजस्थानी में सरस्वती वंदना पढ़ी।

नरेन्द्र सिंह राजपुरोहित, संयोजक, गुजरात राजस्थान मैत्री संघ तथा गुजरात फाउंडेशन ने इस मंडल का भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु किये जाने वाले कार्यों की भूरी भूरी प्रसंशा की. मंडल के सभी परिवार जनों को आने वाले 7 मई के चुनावों में अपने मत का उपयोग और सहयोग करने का वायदा लिया। मंत्री प्रेमचंद पटवा ने कार्यक्रम का बहुत ही सुचारू रुप से संचालन किया।

लावण्या खत्री ने अपने राजस्थानी नृत्यों से, मती सुधा चौहान तथा मती जौली ने गीतों भरे नृत्य प्रस्तुत किये. मती रेणु शर्मा, प्रेमचंद पटवा, राजकुमार लोढ़ा, मती रीटा गहलोत, तेरापंथ समाज से प्रकाश जी धींग की टीम ने राजस्थानी गीत गाये. मती मधु मेहता तथा आकाशवाणी कलाकार सुदीप मुखर्जी ने भजन गाये और नरेंद्र सिंह राजपुरोहित, सम्पत लोहार, सोम शर्मा, विनोद जैन ने अपनी ओज पूर्ण कविताओं से सबको भाव विभोर किया।