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जगद्गुरू रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय का सप्तम दीक्षांत समारोह आयोजित
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गुरु दक्षिणा के अंतर्गत विद्यार्थी विश्वविद्यालयों में पेड़ लगाने का कार्य करें
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संस्कृत और संस्कृति के संरक्षण के लिए कार्य हो : राज्यपाल
जयपुर। राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने कहा कि संस्कृत भाषा नहीं, भारत की महान संस्कृति और मानव संस्कारों की जननी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षा क्षेत्र में अच्छा मनुष्य बनाने के लिए कार्य किया जाए। उन्होंने गुरु दक्षिणा के अंतर्गत शिक्षार्थियों को अपने विश्वविद्यालयों में पेड़ लगाने का कार्य किए जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इससे जहां विद्यार्थी पढ़े हैं, वहां से उनका सदा के लिए आत्मीय नाता बना रहेगा। राज्यपाल बागडे गुरूवार को जगद्गुरू रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के सप्तम दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि संस्कृत और संस्कृति के संरक्षण के लिए सभी मिलकर कार्य करें।

उन्होंने भरतमुनि के नाट्यशास्त्र की चर्चा करते हुए कहा कि शिव का तांडव नृत्य और तमाम हमारा कला कौशल संस्कृत भाषा के जरिए ही जन जन तक पहुंचा है। राज्यपाल ने महर्षि आर्यभट्ट, भास्कराचार्य आदि की चर्चा करते हुए कहा कि भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत को बहुत पहले ही प्रतिपादित कर बताया था कि गृह नक्षत्र और पृथ्वी में परस्पर आकर्षण रहता है। हर वस्तु पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण ज़मीन पर गिरती है। यह बल सूर्य, पृथ्वी, चंद्रमा और नक्षत्रों को कक्षा में रहने की अनुमति देता है। उन्होंने संस्कृत ग्रंथों के जरिए भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संस्कृत भाषा के प्रसार के साथ उसके ज्ञान को जन जन तक पहुंचाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी रही है। बिरला ने कहा कि महापुरुषों ने भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को संस्कृत भाषा में ही रचा। उन्होंने संस्कृत भाषा की प्राचीनता के साथ उसकी वैज्ञानिकता को आधुनिक दृष्टि देने के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय को कार्य करने का आह्वान किया। राज्य के संस्कृत शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि संस्कृत विश्व की प्राचीन भाषाओं की सूत्रधार है। उन्होंने संस्कृत शिक्षा को आधुनिक ज्ञान विज्ञान का आधार बताया।
इससे पहले जूना अखाड़े के प्रमुख स्वामी अवधेशानंद गिरि ने सनातन भारतीय संस्कृति के प्राचीन ग्रंथों में निहित ज्ञान को जन—जन तक पहुंचाने पर जोर दिया। उन्होंने विद्या वाचस्पति उपाधि प्रदान किए जाने पर विश्वविद्यालय का आभार जताया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने सभी का अभिनंदन किया और विश्वविद्यालय द्वारा संस्कृत के उत्थान के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में प्रगति प्रतिवेदन पढ़ा। राज्यपाल एवं कुलाधिपति बागडे एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दीक्षांत समारोह में जूना अखाड़े के प्रमुख स्वामी अवधेशानंद गिरि को विद्यावाचस्पति की मानद उपाधि प्रदान कर उनका सम्मान किया। इससे पहले उन्होंने विश्वविद्यालय के न्यूज लेटर ‘प्रवृत्ति:’ के दीक्षांत समारोह विशेषांक का लोकार्पण किया।