ओरण पर कब्जे को लेकर सदन में हंगामा

राजस्थान विधानसभा
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मंत्री ने खातेदारें में पूर्व विधायक और उनकी पत्नी का लिया नाम, बीजेपी बोले कांग्रेस वाले जमीन खा गए

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में बुधवार को गैर मुमकिन औरण भूमि आवंटन को लेकर जोरदार हंगामा हो गया। बीजेपी विधायक केसा राम चौधरी ने पूरक प्रश्नपूछते हुए कहा कि तहसील मारवाड़ जंक्शन में 240 बीघा जमीन अवैध तरीके से खुर्दबुर्द की गई है। जिस व्यक्ति के पास पहले से ही 1088 बीघा जमीन है उसे घोड़े चराने के नाम पर किस तरह से यह औरण की जमीन दे दी गई। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या सरकार बिना नियम बिना आवंटन सिर्फ पटवारी के नोट पर खूर्दबुर्द की गई इस जमीन को वापस लेगी। इस पर मंत्री हेमंत मीणा ने अपने जवाब में पटवारी का नोट पढ़ते हुए कहा कि यह भूमि पूर्व में राजस्व रिकॉर्ड में गैर मुमकिन औरण में दर्ज थी। इसके बाद 2021 में यह भूमि केसरी सिंह के रिकॉर्ड में घोड़े चराने के लिए दर्ज कर दी गई। मंत्री ने कहा कि पटवारी के रिकॉर्ड में कहीं पर भी आवंटन नियम का जिक्र नहीं किया गया। ओरण पर कब्जे को लेकर सदन में हंगामा

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मंत्री जब जवाब पढ़ रहे थे तो नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा- यह सारे जवाब में लिखित में आ चुके हैं फिर इन्हें पढऩा जरूरी है क्या?
इस पर मंत्री बोले कि 240 बीघा गैर मुमकिन औरण भूमि किसी के नाम पर दर्ज हो गई यह कोई मामूली बात नहीं है पढऩा पड़ेगा।
इसी बीच विधायक केसा राम चौधरी ने एक खातेदार के दो अलग-अलग मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति सदन को दिखाई। इस पर बीजेपी विधायकों ने हंगामा कर दिया। बीजेपी विधायक चिल्लते कि कांग्रेस वाले औरण की जमीन खा गएज्। इसके बाद राजस्व मंत्री ने कहा कि मामले की जांच कलेक्टर से करवा कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल कहा कि औरण की भूमि बिना किसी आदेश के दिया जाना बहुत ही गंभीर विषय है। उन्होंने कहा कि अभी हमारे मंत्री ने कहा हैज्यदि कांग्रेस विधायक चाहें तो अभी हम सदन में नाम भी बता देंगे। इनमें यहां के सदस्य रह पूर्व विधायक, कांग्रेस के प्रत्याशी और कांग्रेस के नेता के नाम हुई है। इस पर सदन में जबरदस्त हंगामा हो गया। जोगाराम बोले हम इसकी पूरी जांच करेंगे।
इसके बाद मंत्री ने खादेदारों के नाम सदन में पढ़े इनमें पहले नंबर अमृतलाल पुत्र चंबाालाल माली, दूसरे खातेदार के रूप में बृजराज सिंह पुत्र खुशवीर सिंह जोझावर, तीसरे नंबर पर खुशवीर सिंह जोझावर पुत्र जालसिंह और उनके बाद इंदू कुमारी पत्नी सुखवीर सिंह जोझावर का नाम लिया।
गौरतलब है कि खुशवीर सिंह जोझावर पिछली विधानसभा में निर्दलीय विधायक थे लेकिन उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने के लिए एसोसिएट मेंबरशिप ली थी।

प्रश्न का लिखित उत्तर पढ़ा जाए या नहीं, 8 मिनट चलती रही बहस

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प्रश्न कल के दौरान लिखित उत्तर को पढ़ा , माना जाए या नहीं इस पर सदन में पूरे 8मिनिट बहस चलती रही। दरअसल स्पीकर वासुदेव देवनानी ने आसान से व्यवस्था दी थी कि प्रश्नकाल में जो लिखित उत्तर विधानसभा सदस्य को मिल चुका है उसे सदन में फिर से पढऩे की जरूरत नहीं है। ऐसा करने से समय बचेगा, लेकिन विधायकों की यह मांग थी कि उत्तर को पढ़ा जाना चाहिए। इस पर स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा कि सोमवार को आसान सदन की स्वीकृति से तय कर चुका है कि प्रश्न का लिखित उत्तर सदस्यों के पास आ गया फिर उस लिखित उत्तर को सदन में पढऩे की आवश्यकता नहीं उस उत्तर को पढ़ा हुआ माना जाना चाहिए।

संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल

लेकिन संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा -सभी सदस्यों के पास लिखित उत्तर नहीं पहुंचता है । इसके साथ जी जब उत्तर सदन में नहीं पढ़ा जाता तो मंत्री का जवाब रिकॉर्ड पर नहीं आता है।ऐसी स्थिति में लिखित उत्तर पढ़ा जाना चाहिए । इस पर देवनानी बोले लिखित उत्तर सभी सदस्यों के पास पहुंचता है।साथ में ऐसे में लिखित उत्तर नहीं पढऩे से समय की बचत होगी। स्पीकर वासुदेव जब फिर से यह व्यवस्था दे रहे थे तो शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी बहस में कूद पड़े । उन्होंने कहा कि बहस में लिखित उत्तर पढऩा जरूरी होना चाहिए। जोगाराम पटेल ने सदन के नियमों की किताब दिखाते हुए कहा कि इसमें भी लिखित उत्तर पढऩे का उल्लेख है । इस पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले भी सदन में आसान से दी गई है व्यवस्था। इसमें लिखित उत्तर पढऩे की जरूरतें नहीं दिखती यह सदन की परंपरा रही है। अगर प्रश्न पूछने वाला सदस्य संतुष्ट है। तो वह सीधे ही पूरक प्रश्न पूछ सकता है। इस पर सदन में वन मंत्री संजय शर्मा भी बोलते खड़े हुए। स्पीकर वासुदेव देवनानी ने सभी सदस्यों को बिठाया। कहा अभी आसन की तरफ से व्यवस्था दी गई है सीधे पूरक प्रश्न पूछना चाहता है। उसे प्रश्न के विषय में लिखित उत्तर पढऩा जरूरी नहीं। स्पीकर वासुदेव देवनानी बोले – व्यवस्था जो दे दी। वह व्यवस्था बहस का मुद्दा नहीं हो सकती।

प्रवर समिति के पास ही रहेगा पानी की राशनिंग वाला भूजल (संरक्षण और प्रबंध) प्राधिकरण विधेयक

राजस्थान की भजनलाल सरकार पिछले विधानसभा के बजट सत्र में पानी राशनिंग को लेकर जो भूजल (संरक्षण और प्रबंध) प्राधिकरण विधेयक 2024- लाई थी। वह मौजूदा सत्र में भी प्रवर समिति के पास ही रहेगा। पिछले सत्र में इस बिल को चर्चा के लिए सदन में रखा गया था, लेकिन कांग्रेस के साथ ही बीजेपी विधायकों ने भी इसका खुलकर विरोध कर दिया था। बिल में सरकार ने भूजल प्रबंधन के लिए नया प्रधिकरण गठन करने का प्रस्ताव रखा था। कांग्रेस और भाजपा विधायकों ने इसका यह कहते हुए विरोध किया था कि बिल में पानी की राशनिंग करने के प्रावधान किए गए हैं। विधेयक में राजस्थान में निजी इंडस्ट्रीज और घरेलू ट्यूबवेल्स खुदाई पर बैन लगाए जाने का प्रावधान था। साथ ही राज्य में जो इंडस्ट्रीज चल रही हैं, उनमें टेलीमीट्रिक डिजिटल वाटर मीटर लगाए जाने के प्रावधान भी बिल में थे।

बिल में गर्वनिंग बॉडी को लेकर भी था विवाद

प्रस्तावित बिल में गर्वनिंग बॉडी को लेकर भी विवाद था। आरएलडी विधायक सुभाष गर्ग ने पिछले सत्र में यह कहते हुए इस बिल को पुनर्विचार के लिए भेजने की मांग की थी कि इसकी गवर्निंग बॉडी में सिर्फ अफसरों को रखा गया है। जबकि देश के अन्य राज्यों में इस तरह के विधेयकों में जल मंत्री व इससे जड़े अन्य मंत्रियों को ही रखा जाता है। विधानसभा की तरफ से 5 फरवरी का जो बिजनेस जारी किया गया है। उसमें प्रवर समिति के अध्यक्ष कन्हैया लाल इस बिल के लिए प्रतिवेदन उपस्थापन के लिए समय सीमा को सत्र के अंतिम सप्ताह तक बढ़ाने जाने का प्रस्ताव करेंगे।

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