वास्तु : अपनी दिशा को सुधारों, दशा खुद ही सुधर जाएगी

वास्तु का प्रभाव व्यक्ति पर जीवन के हर क्षेत्र में पड़ता है। विद्यार्थी जीवन में विशेषकर मानसिक क्षमताओं का अधिक उपयोग करना पड़ता है। विद्यार्थी जीवन ही भावी जीवन की नींव होता है। यदि इस समय हम भली प्रकार से वास्तु का उपयोग करें तो विद्यार्थी जीवन सही मायने में सम्पूर्ण जीवन को दिशामय बना सकता है। कम थकान में अधिक मानसिक शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं। हमारी पृथ्वी पर उत्तरी दक्षिणी धु्रव पर चुम्बकीय प्रभाव पड़ते हैं।

हम पृथ्वी की कक्षा में वास करते हैं। हमारे शरीर में कलियुग के कारण लोहे की मात्रा अधिक होने से उसकी चुम्बकीय शक्ति का असर होता है उसी के प्रभाव को आज सभी वर्ग और समाज के बुद्धिजीवियों ने अनुभव किया है और वैदिक वास्तु को मान्यताएं दी हैं। कलियुग में कारखानों का बहुत विस्तार हुआ लेकिन कई कारखाने वास्तु के दोष से पीडि़त हैं। परिश्रम बहुत करने पर उन्हें मेहनत के अनुसार लाभ नहीं होता है।

कई लोग कारखाने, कार्यालय, दुकान, स्कूल व कालेज में खुश रहते हैं मगर घर आने पर मानसिक चिंता, क्रोध, रोग से ग्रस्त रहते हैं इसका मुख्य कारण वास्तु दोष पाया जाता है। यदि दुर्घटना होती है तो इसे हम राशि या ग्रह का दोष कहेंगे, वास्तु दोष नहीं। इसलिए कहा जाता है कि ‘दिशा सुधार लोगे तो दशा अपने आप ही सुधर जाएगी। आवश्यकता है ऐसे अनुभवी वास्तु शास्त्रियों की जो बाहर से भवन को देख कर ही बता दें कि आपके भवन में कौन-कौन सी घटना कब-कब घटी क्या-क्या दोष है। जैसे जन्म कुंडली देखकर ज्योतिष बताते हैं।

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विद्यार्थी जीवन में भी वास्तु का बहुत महत्व है। 500 विद्यार्थियों पर शोध किया तथा ज्योतिष की कसौटी पर परखा कि किस समय किस दिशा में मुंह करके या बैठकर अध्ययन करने से किस क्षेत्र में सफलता व उन्नति प्राप्त होती है व शरीर पर क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं। उन्हीं प्रभावों पर हमारे ऋषि-मुनियों ने शोध कर जो संकल्प किया वह शास्त्र के रूप में मौजूद है। हमें सभी का ध्यान रख कर उनका प्रयोग करना चाहिए।

खुशी की बात है। आज डाक्टर, इंजीनियर, उद्योगपति, संगीतकार आदि इसके महत्व को जानकर वास्तु, ज्योतिष की शिक्षा के क्षेत्र में जा रहे हैं। उन्होंने जाना कि दीवार पर गलत दिशा में लगे फोटो, अलमारी व बैठक का प्रभाव पड़ता है। आग्नेय दिशा का पानी हानि करता है। उत्तर में पहाड़ के फोटो अशुभ व दक्षिण में झरनों के चित्र अशुभ होते हैं। जब विद्वानों, डाक्टरों व इंजीनियरों ने इन बातों पर विश्वास कर लिया तब वह दिन दूर नहीं जब दिशाओं के नाम रत्नों के प्रभाव, पिरामिड के प्रभाव तथा देश के मंदिरों-मूर्तियों को भी सच्चाई के रूप में मानेंगे।

हिन्दू देवी-देवता के प्राचीन फोटो प्रथा के महत्व के बाद धर्म निर्माण की आवश्यकता का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है, धीरे-धीरे पूजा के मंत्रों के महत्व का, जिन्होंने दसों-दिशाओं का निर्माण किया उनके स्वामी का, जिन्होंने पंच तत्व पर विजय प्राप्त की जैसे हनुमान जी ने पृथ्वी तत्व पर्वत को उठाया, भगवान श्री कृष्ण ने अपनी तर्जनी उंगली से पर्वत उठाया, जलदेवता इंद्र को परास्त किया इनके महत्व का अवश्य पता चलता है। इनके फोटो मंदिर में भी जरूर लगाएं। इससे मानव जीवन पर आने वाले दिनों के प्रभावों का पता चल सकेगा।