शरीर में बढ़ गया है वात दोष तो ऐसे पा सकते हैं छुटकारा

वात दोष
वात दोष

जब भी आप आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धिति पर आधारित हेल्थ न्यूज देखते या पढ़ते हैं तो आपको तीन शब्द अक्सर सुनने को मिलते हैं। ये हैं, वात-पित्त और कफ. जो लोग नियमित रूप से आयुर्वेद के संपर्क में रहते हैं, उन्हें तो इनका अर्थ और कारण पता है, लेकिन ज्यादातर लोग अभी भी इनसे अनजान हैं। कोरोना काल के बाद आयुर्वेद के प्रति लोगों का रुझान काफी अधिक बढ़ा है और लोग अब फिर से अपनी बीमारियों का उपचार प्राकृतिक और हर्बल तरीके से कराना चाहते हैं। आयुर्वेद एक पूरी तरह प्राकृतिक चिकित्सा पद्धिति है, जिसमें औषधियों और जड़ी-बूटियों से इलाज को प्राथमिकता दी जाती है। इसमें वात-पित्त और कफ पर सेहत को आधारित माना जाता है। इन तीनों का संतुलन अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होता है। यदि कोई एक भी गड़बड़ा जाए तो तबियत खराब हो जाती है। इन्हें आयुर्वेद में त्रिदोष कहा जाता है यानी तीन दोष।

श्राद्ध के साथ ध्यान रखें

श्राद्ध के साथ ध्यान रखें
श्राद्ध के साथ ध्यान रखें

श्राद्धों में मीठा जैसे खीर, मालपुए आदि दूसरी मीठी चीजें ज्यादा बनती हैं। ये सभी आयुर्वेद के अनुसार ही तय हैं। ये मीठी चीजें खाने से शरीर में वायु दोष बढ़ जाता है, ताकि उसकी पहचानकर उसे शरीर से निकाला जा सके। श्राद्ध में कांजीबड़ा भी खाने का चलन है। मीठा वायु दोष बढ़ाता है, कांजीबड़ा पेट साफ करता है। इससे शरीर के सभी दोष बाहर निकल जाते हैं।

रूपचौदस से शुरुआत

रूपचौदस से ही शरीर की तेल से मालिश शुरू कर देनी चाहिए। इससे शरीर में वायु घटती और ऊर्जा बढ़ती है। पेट की अग्नि भी बढ़ती है। इसमें हर उम्र के लोगों को रोजाना तिल के तेल से मालिश करनी चाहिए।

शरीर शुद्धि के तीन तरीके

शरीर शुद्धि के तीन तरीके
शरीर शुद्धि के तीन तरीके

विरेचन : इसमें दस्त के माध्यम से शरीर में मौजूद दोषों को दूर किया जाता है। इसके लिए सबसे उपयुक्त समय श्राद्धपक्ष होता है। इसके लिए आयुर्वेदिक औषधियों की भी मदद ले सकते हैं।

यह भी पढ़ें : असित मोदी सहित शो के दो सदस्यों पर यौन शोषण का आरोप, एफआईआर दर्ज