फलदार पौधों के साथ सब्जियां भी उगाई, दोगुनी हो गई आय

बांसवाड़ा। किसान अपनी आय दोगुनी करने के लिए अब नई तकनीकी से खेती करना शुरू कर दिया है। जिसका फायदा भी किसानों को मिल रहा है। फलदार पौधों के साथ ही सब्जी की खेती कर आदिवासी किसान नए तरीके से खेती करने में लगे हैं। शहर के 18 किलोमीटर दूर झूपेल गांव में रहने वाले किसान रामचंद्र डोडिय़ार ने अपनी मेहनत और नई तकनीकी से खेती कर अपनी आय को बढ़ाया है।

डोडिय़ार के पास 5 बीघा जमीन है। जो वर्षों से मक्का, गेहूं, कपास का ही बुवाई कर रहा था, साथ ही केवल खेत में बीज का छिड़काव करता था। न खाद देता, न अच्छी गुड़ाई करता। लेकिन अब जो वह हर साल पूरी जमीन में 25 से 30 हजार की आय होती थी, अब अपनी जमीनें के 1.25 बीघा जमीन से ही 40 से 50 हजार रुपए की फसल का उत्पादन कर रहा है। किसान रामचंद्र डोडिया ने बताया कि उसने पहले छोटा बगीचा लगाने, खेत में किस तरह निराई गुड़ाई का प्रशिक्षण लिया, उसके बाद में ही काम शुरू कर दिया।

अभी केवल 1.25 बीघा जमीन में अमरूद और नींबू के 40 पौधे लगाए हैं, जो अगले साल तक इनके फल आना शुरू हो जाएंगे। लेकिन इस बीच इसी जमीन से सब्जी, मिठ्ठी मक्का लगाकर उत्पादन कर रहे हैं। रामचंद्र डोडिय़ार ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान उन्हें पानी की बचत कैसे करनी है, उसके बारे में भी बताया गया।

जिसके बाद कुएं से सिंचाई अब फव्वारे सिस्टम के हिसाब से किया जा रहा है, जिससे सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं हो रही है। जब तक अमरूद और नींबू का उत्पादन नहीं हो रहा है, तब तक सब्जी का व्यापार शुरू है।

सब्जी में भिंडी, गिलकी, स्वीट कॉर्न जैसी नगद पैसा देने वाली फसलों का उत्पादन शुरू कर दिया। अब पूरे खेत में करीब 1 लाख रुपए तक की आय हो रही है। रामचंद्र डोडिय़ार ने बताया कि पहले केवल बीज का छिड़काव करता था, लेकिन अब उत्तम बीज, के साथ साथ ही देसी खाद भी खेत में डालने से फसल की पैदावार बढ़ गई है।

बिजाई भी अब छिड़काव से नहीं करके लाइन से की जा रही है, ताकि खरपतवार निकालने, गुड़ाई करने में भी आसानी रह रही है। डोडिय़ार ने बताया कि धीरे-धीरे पूरे खेत में फलदार पौधे लगाने का प्लान है।

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