जंतर-मंतर का भ्रमण कर लिया वैदिक यंत्रों का ज्ञान

जलतेदीप, जयपुर। जयपुर के सिटी पैलेस में चल रहे एक माह के सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर के अंतर्गत वैदिक ज्योतिष का प्रशिक्षण ले रहे विद्यार्थियों को वैदिक यंत्रों की जानकारी देने के लिए जंतर-मंतर का भ्रमण कराया गया। इस दौरान विद्यार्थियों को विभिन्न खगोलीय यंत्रों की संरचना, कार्यप्रणाली एवं महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया। साथ ही, इन यंत्रों की सहायता से ग्रह-नक्षत्रों की सटीक गणना करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। भ्रमण के दौरान शिविर के संयोजक और सिटी पैलेस के कला एवं संस्कृति, ओएसडी, चित्रकार रामू रामदेव ने विद्यार्थियों को महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा स्थापित जयपुर शहर और जंतर-मंतर के निर्माण से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों और उनके महत्व से अवगत कराया।

वहीं, ज्योतिष विशेषज्ञ एवं प्रशिक्षक, डॉ. ब्रजमोहन खत्री ने बताया कि पुराने समय में जब घड़ियां और कैलेंडर नहीं हुआ करते थे, उस समय महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने वेधशालाओं का निर्माण कराया था। तब ग्रह-नक्षत्रों की सटीक गणना इन यंत्रों द्वारा की जाती थी, जो आज भी प्रभावी रूप से कार्य कर रहे हैं। खत्री ने आगे बताया कि इस एक माह के प्रशिक्षण शिविर के दौरान अब तक विद्यार्थियों को ‘वैदिक ज्योतिष’ के सिद्धांतों, उसकी उत्पत्ति और व्याख्या से परिचित कराया गया है। जिसके बाद, उन्हें पंचांग बनाना, जन्मकुंडली तैयार करना, जन्म फलकथन के लिए प्रत्येक ग्रह की विभिन्न स्थितियों की जानकारी निकालना आदि सिखाया गया है। इसमें ग्रहों की स्थिति और उनके आपसी संबंधों का अध्ययन भी शामिल है।

गौरतलब है कि यह सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय ट्रस्ट द्वारा पारम्परिक कलाओं की प्रतिनिधि संस्था रंगरीत तथा सरस्वती कला केन्द्र के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। शिविर में प्रतिभागियों को प्रसिद्ध कला विशेषज्ञों द्वारा चित्रकला, आला गिला, आराईश, ध्रुवपद, कथक, बांसुरी, कैलीग्राफी, वैदिक ज्योतिष जैसी पारंपरिक कलाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शिविर का समापन 20 जून को होगा।जंतर-मंतर का भ्रमण कर लिया वैदिक यंत्रों का ज्ञान