‘गरीब बस्तियों में रहने वाला 1 करोड़ कहां से लाएगा’, स्पीकर बोले- सरकार को राहत देने वाली योजना लानी चाहिए

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में बुधवार को बगरू क्षेत्र में हाई वोल्टेज बिजली लाइनों और जनजातीय क्षेत्रों में नगर पालिका स्थापना को लेकर चर्चा हुई। विधायक कैलाश चंद वर्मा ने आबादी क्षेत्र में हाई वोल्टेज बिजली लाइनों को लेकर सवाल किया। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार इन लाइनों को भूमिगत करने की कोई योजना बना रही है? इस पर ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने जवाब देते हुए कहा- ‘इन लाइनों की नियमित निगरानी की जाती है। सूचना मिलने पर प्राथमिकता के आधार पर इन्हें ठीक किया जाता है।’

बिजली लाइनें भूमिगत खर्च का 50-50 फॉर्मूला

विधायक ने आगे सवाल किया कि क्या पूरे प्रदेश में आबादी क्षेत्र से गुजरने वाली बिजली लाइनों को अंडरग्राउंड किया जाएगा? इस पर मंत्री ने स्पष्ट किया कि ऐसी लाइनों को भूमिगत करने का कार्य सरकार की स्वीकृति के बाद ही किया जाता है। नगर निकायों या सरकार के द्वारा इस कार्य को किया जा सकता है, जबकि निगम केवल लाइनों को शिफ्ट करने का काम करता है। घनी आबादी क्षेत्र से जो हाई वोल्टेज बिजली लाइनें गुजरती हैं, उन्हें भूमिगत करने के लिए नियम अनुसार 50 प्रतिशत राशि निगम खर्च करता है, और बाकी की 50 प्रतिशत राशि आवेदक या स्थानीय निकाय खर्च करता है।

‘सरकार को राहत देने वाली योजना बनानी चाहिए’

इस पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सुझाव दिया कि यह समस्या हर क्षेत्र की है। लेकिन ये 50-50 का फॉर्मूला ठीक नहीं है। जो लोग सक्षम है वो 50 लाख या 1 करोड़ रुपये आपके मांगने पर दे देंगे। लेकिन गरीब बस्तियों में रहने वाले लोगों को यह राशि देने में समस्या होगी। अगर आप उससे 1 करोड़ रुपये मांगेंगे तो वो कहां से लाएगा? सरकार को ऐसी योजना बनानी चाहिए, जिससे उन्हें राहत मिल सके।

‘नगर पालिका के अस्तिस्व लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं’

इसके बाद जनजातीय क्षेत्रों में नगर पालिका स्थापना का मुद्दा उठा। विधायक दयाराम परमार ने जनजातीय क्षेत्रों में नगर पालिका की स्थापना को लेकर सवाल किया। इस पर यूडीएच मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि संवैधानिक आधार पर ही नगर पालिकाओं की स्थापना की जाती है। विधायक ने सवाल किया कि कोर्ट में विचाराधीन नगर पालिकाओं का भविष्य क्या होगा? मंत्री ने जवाब दिया कि चार नगर पालिकाओं को छोड़कर बाकी सभी जिनका गठन किया गया था, उनमें राज्यपाल की सहमति नहीं थी। इसलिए उनके अस्तित्व को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।