
एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में रेड ब्लड सेल्स या हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। इसके कारण शरीर के अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता। इस वजह से ज्यादा थकान, कमजोरी, चक्कर आने जैसी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। यह समस्या खासतौर से महिलाओं और बच्चों में ज्यादा देखी जाती है। लेकिन ऐसा क्यों है? किन वजहों से महिलाएं और बच्चे आसानी से एनीमिया का शिकार हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि महिलाओं और बच्चों में एनीमिया इतना आम क्यों है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
महिलाओं में एनीमिया के कारण

आयरन की कमी
महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज्यादा आयरन की जरूरत होती है।
पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग के कारण आयरन की हानि होती है
प्रेग्नेंसी में बच्चे के विकास के लिए ज्यादा आयरन की जरूरत होती है।
ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं में भी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
पोषण की कमी
आयरन से भरपूर डाइट (हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें, मांस, अंडे) कम खाने की वजह से एनीमिया हो सकता है।
विटामिन-बी12 और फोलिक एसिड की कमी, जो रेड ब्लड सेल्स के निर्माण के लिए जरूरी हैं।
पाचन संबंधी समस्याएं
कीड़े (पेट के कीड़े) के कारण पोषक तत्वों का अब्जॉप्र्शन नहीं हो पाता।
गैस्ट्रिक समस्याएं जैसे अल्सर या इन्फेक्शन से खून की कमी हो सकती है।
बच्चों में एनीमिया के कारण
जन्म के समय कम वजन
समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में आयरन स्टोर कम होता है।
मां का एनीमिक होना
अगर प्रेग्नेंसी के दौरान मां में आयरन की कमी हो, तो बच्चे को भी एनीमिया होने का खतरा रहता है।
ठोस आहार की देर से शुरुआत
6 महीने के बाद बच्चों को आयरन से भरपूर ठोस आहार (जैसे दाल का पानी, केला, हरी सब्जियों का सूप) न देना।
इन्फेक्शन और बीमारियां
मलेरिया, डायरिया और पेट के कीड़े बच्चों में खून की कमी का कारण बनते हैं।
एनीमिया के लक्षण
थकान और कमजोरी
सिरदर्द और चक्कर आना
त्वचा का पीला पडऩा
सांस लेने में तकलीफ
बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास धीमा होना
एनीमिया से बचाव के उपाय
बैलेंस्ड डाइट लें
आयरन से भरपूर खाना- पालक, मेथी, चुकंदर, अनार, दालें, अंडे, मछली।
विटामिन-सी- संतरा, नींबू, आंवला खाने से आयरन का अब्जॉप्र्शन बढ़ता है।
आयरन सप्लीमेंट्स
प्रेग्नेंट महिलाओं और टीनेजर्स को डॉक्टर की सलाह से आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां लेनी चाहिए।
स्वच्छता और कीड़ों से बचाव
साफ पानी पिएं और हाथ धोने की आदत डालें।
बच्चों को नियमित डीवर्मिंग की दवा (कीड़े मारने की दवा) दें।
नियमित जांच
हीमोग्लोबिन टेस्ट करवाकर एनीमिया की जांच करवाएं।
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