
जयपुर: ‘मैं कोई बोझ लेकर नहीं चलता, मैं समाज को कोई संदेश नहीं देना चाहता. मैं बस जीना चाहता हूं और चले जाना चाहता हूं. हम ये क्यों चाहते हैं कि हम जो कर रहे हैं, बाकी लोग भी वही करें. मुझे पढ़ना अच्छा लगता है तो मैं पढ़ता हूं. किसी को नहीं लगता तो वह नहीं पढ़ता.’ ये कहना है बॉलीवुड अभिनेता और लेखक मानव कौल का. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी नई किताब ‘बहुत दूर, कितना दूर होता है’ लेकर पहुंचे मानव कौल ने कहा कि मुझे अपने सारे कैरेक्टर बहुत पसंद हैं. मैं मानव कौल को पसंद करता हूं. लेखक मानव कौल को भी, अभिनेता को भी.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अभिनेता मानव कौल ने अपने लेखक, अभिनय और निजी जीवन पर खुलकर बात की. साथ ही प्रकाशक और लेखक से जुड़े विवाद पर उन्होंने कहा कि आवाज उठाने का ये फायदा हुआ है कि जो प्रकाशन समूह विनोद कुमार शुक्ल जैसे लेखक को 6 हजार से 14 हजार रुपये तक देते थे, वही प्रकाशन समूह उन्हें अब महीने के 20 हजार रुपये दे रहे हैं.उन्होंने कहा कि हम अपने स्टार को सेलिब्रेट नहीं करते. हमें अपने लेखकों को सेलिब्रेट करना चाहिए. विनोद कुमार शुक्ल इतने बड़े लेखक हैं, वे स्टार हैं. अगर हम उन्हें सेलिब्रेट करेंगे तो हजारों लेखक तैयार होंगे. वहीं, अपने प्रिय लेखकों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो अक्सर लेखकों के प्रेम में पड़ जाते हैं.
लेखकों ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है. किर्लोस्कर और निर्मल वर्मा वे लेखक हैं, जिनकी किताबों में वो खो जाते हैं. निर्मल वर्मा ने उन्हें लेखक बनना सिखाया, विनोद कुमार शुक्ल ने उड़ना सिखाया और काफ्का ने पागलपन सिखाया.इससे पहले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के मंच से सेशन के दौरान मानव कौल ने अपनी जिंदगी से जुड़े कई अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि वो कश्मीर के बारामूला में पैदा हुए और होशंगाबाद में पले-बढ़े. गांव और छोटे शहरों में पले-बढ़े लोगों में एक खास तरह की आजादी और एक तरह का कॉम्प्लेक्स दोनों होते हैं. उन्होंने कहा कि बचपन में दुनिया देखने की चाह थी, इसलिए अक्सर अपने दोस्त सलीम के साथ होशंगाबाद रेलवे स्टेशन जाकर ट्रेनों को आते-जाते देखा करते थे और सोचते थे कि ये ट्रेनें आखिर कहां जाती हैं.