
अंग दान एक ऐसा दान है, जो किसी को नया जीवन दे सकता है। अंग दान की मदद से व्यक्ति कई लोगों को जीने की वजह दे सकता है। यही वजह है कि इसे महादान भी कहा जाता है। हालांकि, आज भी इसे लेकर लोगों के मन में कई सारे भ्रम मौजूद हैं। साथ ही इसे लेकर कई लोगों में जागरूकता की भी कमी है। ऐसे में इसके प्रति जागरूकता फैलना के मकसद से हर साल 3 अगस्त को नेशनल ऑर्गन डोनेशनल डे मनाया जाता है। आज भी जागरूकता की कमी के कारण, अंग दान करने को लेकर लोगों के मन मेंकई गलत मिथक और भय हैं। राष्ट्रीय अंगदान दिवस का उद्देश्य लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करना है, ताकि वे अंगदान करने का संकल्प लें। इस मौके पर आज हम आपको बताएंगे अंग दान से जुड़े कुछ आम मिथक और उनके तथ्य-

मिथक : कोई भी अंग दान कर सकता है।
फैक्ट : हर कोई अंग दान नहीं कर सकता। कुछ मेडिकल कंडीशन वाले लोग कई बार अंग दान नहीं कर पाते। अंग दान करने का फैसला सख्त चिकित्सा मानदंडों पर आधार पर किया जाता है। कुछ बीमारियां जैसे कैंसर, एचआईवी या किसी संक्रमण से पीडि़त लोगों से अंगों का दान नहीं लिया जाता है।
मिथक : अंग और टिशूज दान से शरीर खराब हो जाता है।

फैक्ट : अंग दान करने पर डोनेट किए गए ऑर्गन्स को ऑपरेशन से निकाल दिया जाता है, जो शरीर को खराब नहीं करता। अंग दान करने वाले का शरीर दाह संस्कार के लिए वैसे ही रहता है, जैसा पहले था। उसमें दान के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। नेत्रदान के बाद, एक कृत्रिम आंख डाली जाती है, पलकें बंद हो जाती हैं। बोन डोनेशन के बाद, एक रॉड डाली जाती है, जहां से हड्डी को हटाया जाता है।
मिथक डोनर के परिवार से अंग दान के पैसे लिए जाते हैं।
फैक्ट : अंग दान के लिए डोनर के परिवार से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। यह पूरी तरह से निशुल्क है। अगर किसी परिवार को ऐसा लगता है कि उनसे गलत तरीके से पैसे लिए गए हैं, तो वह तुरंत अंग खरीदने वाले संगठन से संपर्क कर सकते हैं।
मिथक इसमें जान भी जा सकती है।
फैक्ट : यह पूरी तरह से गलत है। दरअसल, पूरी तरह से जांच-पड़ताल करने के बाद ही व्यक्ति का ऑर्गन डोनेट किया जाता है। डॉक्टर्स अंग दान करने वाले व्यक्ति की जान बचाने की पूरी तरह से कोशिश करते हैं। अगर आपको यह लगता है कि आप अंग दान करने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार है, तो आप इसे जरूर कर सकते हैं।
मिथक : कोमा में होने पर व्यक्ति अंगदान नहीं कर सकता है।
फैक्ट : यह बात भी पूरी तरह से गलत है। अगर कोई व्यक्ति कोमा में है, तो वह अगर दान कर सकता है। ऐसे लोग जिन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है, उनके ऑर्गन परिवार की सहमति से दूसरों को दान कर दिए जाते हैं। ब्रेन डेड और कोमा में फर्क होता है। कोमा वाले इंसान सही हो सकते हैं, लेकिन ब्रेन डेड वाले नहीं। अगर ब्रेन डेड वाले लोग अंग दान कर सकते हैं, तो फिर कोमा वाले व्यक्ति भी यह कर सकते हैं।
मिथ 6 : सिर्फ हृदय, लिवर और गुर्दे का दान किया जा सकता है।
फैक्ट : अंग दान कई सारे अंगों का किया जा सकता है। यह सिर्फ हृदय, लिवर और गुर्दे का दान नहीं होता। आप पेनक्रियाज, फेफड़े, छोटी और बड़ी आंत, पेट, त्वचा, हड्डी, हार्ट वाल्व और टेंडन जैसे टीशूज को भी दान कर सकते हैं।
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