
जयपुर। जवाहर कला केंद्र और राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में चल रहे दस दिवसीय थियेटर महोत्सव रंग राजस्थान ने अपने आठ दिन पूरे कर लिए हैं। ये महोत्सव कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान पर्यटन विभाग, राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, एवं जवाहर कला केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में जयपुर की जानी-मानी रंगमंच संस्था रंग मस्ताने द्वारा आयोजित कराया जा रहा है।
महोत्सव के आठवें दिन 11 बजे से जवाहर कला केंद्र के अलंकार गैलरी में जाने माने अभिनेता, कवि शैलेश लोढ़ा के साथ बातचीत सत्र रखा गया। जिसमें शैलेश ने भाषा पर एक विस्तृत चर्चा की और लोगों के प्रश्नों के जवाब दिए। उन्होंने एक श्रोता के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि आज के समय में हमने अपनी भाषा का किसी और भाषा के सामने समझौता कर लिया है। हम कुल बनने के लिए अंग्रेजी का ज्यादा और हिंदी का न की बराबर प्रयोग करने लगे हैं। उन्होंने अपने 22 साल बाद रंगमंच पर वापस आने की यात्रा का वर्णन किया। अपनी मातृभाषा को सबसे आगे लेकर चलने की अपील की।
फिर 12 बजे से अलंकार गैलरी में ही राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के में संगीत के शिक्षक श्री अजय कुमार की थियेटर म्यूजिक पर मास्टरक्लास हुई। जिसमें उन्होंने एक अभिनेता को संगीतज्ञ होना आवश्यक नहीं लेकिन उसका ताल में होना बहुत जरूरी है। मास्टरक्लास ने उन्होंने फिजिकल मेमोरी और मेंटल मेमोरी के बारे ने बताया और एक एक्सरसाइज के माध्यम से अभिनेताओं को समझाया भी।
इसके बाद शाम 7 बजे से राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में ओवल्याकुली खोड़जाकुली द्वारा निर्देशित और झिलमिल हजारिका द्वारा प्रस्तुत एकल नाटक ऑर्डर फुहरर का मंचन किया।
नाट्य सार
“तुम मशीन नहीं हो, तुम इंसान हो। तुम्हारे दिल में जीवन, प्रेम और मानवता है।” इस उद्धरण से संबंधित नाटक अपने आसपास मानवता की कमी पर सवाल उठाता है। वर्षों से चले आ रहे सिस्टम में मानवता के अभाव के दृश्य इसमें प्रस्तुत किए गए हैं।
लेखिका ब्रिगिट श्वाइगर द्वारा: “आदेश, फ्यूहरर!” यह एक ऑस्ट्रियाई यहूदी द्वारा एक एकालाप के रूप में लिखा गया था जो अपने फ्यूहरर को आदर्श मानता था। फ्यूहरर। एक ऐसा शब्द जो लोगों में अप्रिय जुड़ाव पैदा करता है। [फ्यूहरर] शब्द का जर्मन से अनुवाद नेता, प्रमुख के रूप में किया गया है। फ्यूहरर नाज़ी जर्मनी में राज्य के प्रमुख की उपाधि भी है।
फ्यूहरर का पद संभालने वाला पहला व्यक्ति हिटलर था और वह अंतिम फ्यूहरर भी बना और 1945 में इस पद को समाप्त कर दिया गया। फ्यूहरर की उपाधि का इतना औपचारिक अर्थ नहीं था जितना आमतौर पर इसके लिए माना जाता है। यह स्थिति तानाशाह की एकमात्र शक्ति के निर्माण के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी, जिसने सत्ता की सारी प्रचुरता एक व्यक्ति के हाथों में केंद्रित कर दी थी। एडॉल्फ हिटलर की नीति द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ने का एक मुख्य कारण बनी। किस चीज़ ने मुख्य पात्र को जीत में विश्वास दिलाया और युद्ध के आखिरी दिन तक फ्यूहरर के प्रति समर्पित रहा।