
जयपुर। पिछले 34 साल से अमेरिका में निवासरत राजस्थानी प्रवासी प्रेम भंडारी ने एक बार फिर राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की मांग उठाई है। अमेरिका से भारत आए भंडारी ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में अपने जीवन से जुड़े कई अनछुए पहलू भी शेयर किए। उन्होंने बताया कि वे कब और किन हालात में अमेरिका गए।
चैनल से बातचीत में जोधपुर वासी भंडारी ने कहा कि वे 34 साल पहले अपनी बहन की शादी में अमेरिका गए थे। उसके बाद वहीं के होकर रह गए, लेकिन भारत, राजस्थान और जोधपुर उनके दिल में आज भी उसकी तरह बसता है जैसा 34 साल पहले बसा करता था। वे भारत की और राजस्थान की मिट्टी को कभी नहीं भूल सकते। यही कारण है कि वे साल पांच छ बार जोधपुर आ ही जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब वे पहली बार अमेरिका गए थे, उन्हें बड़ा अजीब लगा। क्योंकि वे सिविल सेवा में जाना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। आज वे पूरी तरह संतुष्ट हैं, क्योंकि उनके एनजीओ के जरिए चार करोड़ से ज्यादा प्रवासी भारतीय उनके सीधे जुड़े हैं।
युवा छोड़ें नशे की लत
उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि युवा नशे की लत छोड़ें, यदि ऐसा होगा तो देश और युवा चार गुना प्रगति करेंगे। कोरोना काल को याद करते हुए भंडारी ने कहा कि कोरोना ने लोगों के अहंकार को खत्म किया है। यहां उन्होंने अमेरिका में कुछ दिन पहले दिए उस 12 मिनट के भाषण का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने मंत्री शांतिधारी की मौजूदगी में दिया था। उन्होंने कहा कि उस वक्त भी मैंने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की मांग की थी और आज भी उसकी पुरजोर से मांग करता हंू।
अमेरिका की प्रगति में भारतीय प्रवासियों का बड़ा योगदान
उन्होंने कहा कि चाहे जो हो वे राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाकर ही दम लेंगे। अमेरिका में भारतीय के योगदान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका में काम कर रहे भारतीय चिकित्सकों को वहां से हटा दिया जाए या उन्हें भारत वापस बुला लिया जाए, तो वहां का पूरा हैल्थ सिस्टम चरमरा जाएगा। अमेरिका की प्रगति में भारतीय प्रवासियों का बहुत बड़ा योगदान है। प्रेम भंडारी राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका के अध्यक्ष हैं।
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