नरेगा में निर्धारित संख्या में श्रमिकों के अभाव में कर्मचारियों के वेतन का संकट

महात्मा गांधी नरेगा योजना, Mahatma Gandhi NREGA
महात्मा गांधी नरेगा योजना, Mahatma Gandhi NREGA

झुंझुनू । पांच साल पहले राज्य सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा योजना का सफल संचालन के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में केवल इसी काम के लिए एक कनिष्ठ सहायक का पद स्वीकृत कर सभी पद भर दिए गए थे।

कनिष्ठ सहायक द्वितीय के नाम से पदस्थापित इन कर्मचारियों द्वारा प्रत्येक साल में श्रमिकों द्वारा रोजगार मांगे जाने का अनुमान तैयार किया जाकर उसी के अनुसार कामों के प्रस्ताव तैयार करने, वार्षिक कार्य योजना बनाने, जॉब कार्ड जारी करने, श्रमिकों से आवेदन लेकर काम पर लगाने, समय पर भुगतान करना आदि कामों का अंजाम देना था।

नरेगा योजना का सफल संचालन के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में केवल इसी काम के लिए एक कनिष्ठ सहायक का पद स्वीकृत कर सभी पद भर दिए गए थे।

नरेगा में साल भर में पंचायत द्वारा किये गए खर्चें का 4 प्रतिशत की सीमा तक इनके वेतन, भाों पर खर्च होना था। प्रशासनिक खर्च की सीमा को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रतिदिन औसत 100 श्रमिकों का नियोजन का लक्ष्य जिला स्तर से दिए गए थे, जबकि गत वर्ष पूरे जिले में औसत प्रतिदिन 28 श्रमिकों को ही काम दिया जा सका।

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इसके चलते प्रशासनिक खर्चा निर्धारित 4 प्रतिशत से बढक़र 22 प्रतिशत हो गया। 1 अप्रेल से शुरू हुए वितीय वर्ष के लिये जिला परिषद के सीईओ रामनिवास जाट द्वारा जिले की ग्राम पंचायतों में तैनात 300 सहायकों को टास्क दिया गया है कि औसत प्रतिदिन प्रति पंचायत 100 श्रमिकों का नियोजन करें, उक्त संख्या में श्रमिक नियोजन नही होने पर उनके वेतन भाों का नियमित भुगतान संभव नहीं होगा तथा आधे पदों को समर्पित करना होगा।

झुंझुनूं जिले में महात्मा गांधी नरेगा कार्य का समय दोपहर 1 बजे तक

जिला स्तर से जारी चेतावनी के बाद मई के द्वितीय पखवाड़ें में औसत प्रति पंचायत 70 श्रमिक नियोजित किए जा सके हैं। सीईओ ने 20 मई तक 100 श्रमिकों के नियोजन का लक्ष्य पूरा नही करने वाले सहायकों को जिला परिषद में बुलाने की चेतावनी दी है।इसके बाद कर्मचारियों ने प्रत्येक जॉबकार्ड धारक परिवार से संपर्क करना शुरू कर दिया है, ताकि उन्हें जगह नहीं छोडऩी पड़े।

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