
हर साल अप्रैल के अंतिम सप्ताह (24 से 30 अप्रैल) को ‘विश्व टीकाकरण सप्ताह’ के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य सभी आयु वर्ग के लोगों को बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण के महत्व को बताना और बढ़ावा देना है। टीका न लेने से छोटे बच्चों में जान का खतरा बना रहता है। वैक्सीन न लेने वाले बच्चों में एंटीबॉडीज डेवलप नहीं हो पाती, जिससे बचपन में ही वो निमोनिया जैसी खतरनाक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। जो जानलेवा भी साबित हो सकती है। टीकाकरण बच्चों व वयस्कों के स्वास्थ्य की रक्षा करने का एक प्रभावी तरीका है और बच्चों के लिए तो ये सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। आइए जानते हैं बच्चों के लिए पांच जरूरी वैक्सीन के बारे में।
मेनैक्ट्रा वैक्सीन

मेनैक्ट्रा वैक्सीन, मेनिंगोकोकल रोग से बचाने में मदद करती है। इस वैक्सीन की खुराक 9 से 23 महीने की उम्र के बच्चों को दिया जा सकता है, लेकिन फिर भी इस वैक्सीन की डोज दिलवाने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें। तेज बुखार के साथ सिर दर्द, रैशेज, उल्टी, हर वक्त नींद आना, चिड़चिड़ापन, भूख न खाना इस बीमारी के लक्षण हैं।
पोलियो वैक्सीन

पोलियो एक ऐसी बीमारी है, जो बच्चे को अपंग बना सकता है। पोलियो लाइलाज बीमारी है क्?योंकि इसमें होने वाला लकवापन ठीक नहीं हो सकता है। टीकाकरण ही इस बीमारी का बचाव है। पोलियो से बचाव के लिए ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन) दी जाती है। शिशु के जन्म के आधे घंटे बाद भी पोलियो ड्रॉप्स पिलाना सही होता है, वैसे जन्म के 15 दिन के अंदर भी उसे पोलियो का पहला टीकाकरण दिया जा सकता है।
एमएमआर
छोटे बच्चों की इम्युनिटी बहुत ही कमजोर होती है जिस वजह से वो बहुत जल्दी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं और समय रहते इनकी पहचान न हो पाने और इलाज में देरी से उनकी जान को खतरा हो सकता है। बच्चों को लगने वाले टीके में एमएमआर भी बहुत ही जरूरी है। जो उन्हें बुखार, खांसी, गले में दर्द, निमोनिया, भूख न लगना, थकान, नाक का बहना जैसी कई परेशानियों से महफूज रखता है। यह वैक्सीन बच्चों को 11 से 12 साल की उम्र में दी जाती है। इसकी दो खुराक 6 महीने के अंतराल पर दी जाती है।
डीटीपी
जिसका पूरा नाम डिप्थीरिया,टेटनस, पर्टुसिस है। टिटनेस एक खतरनाक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। जिसमें बच्चे को खाने-पीने से लेकर सांस लेने तक में परेशानी हो सकती है। यही नहीं उन्हें निमोनिया के साथ अन्य बीमारियां का भी खतरा बना रहता है। इस वैक्सीन को लगवाने से इन इन्फेक्शन के होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। 11 साल की उम्र में ही बच्चे को डीटीपी का टीका लगवा लें।
हेपेटाइटिस ए
छोटे बच्चों में पीलिया भी बहुत ही आम समस्या है, लेकिन कई बार इस बीमारी के चलते उनकी जान भी जा सकती है। इस खतरनाक बीमारी से बचाव के लिए उन्हें हेपेटाइटिस ए का टीका जरूर लगवाएं। हेपेटाइटिस-ए का टीका छह महीने के अंतराल पर दो बार लगाया जाता है।
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