विश्व का पहला ओम की आकृति वाला मंदिर, आप भी खूबियां जानकर रह जाएंगे हैरान

ओम की आकृति वाला मंदिर
ओम की आकृति वाला मंदिर

पाली। राजस्थान के पाली में विश्व के पहले ओम की आकृति वाला भव्य शिव मंदिर का सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा की। इस दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मुख्य यजमान रहे। इस दौरान काफी संख्या में साधु, संत और श्रद्धालु उपस्थित थे। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होकर वह अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह विश्व का पहला ओमकार आकृति का मंदिर है। इसके निर्माण का गौरव राजस्थान को मिला। उन्होंने मंदिर के निर्माण में योगदान करने वाले सभी भक्तों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

पीएम मोदी ने देश की संस्कृति और विरासत को पुनर्जीवित किया

पीएम मोदी
पीएम मोदी

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की संस्कृति और विरासत को दोबारा जीवित किया गया है। आज भारत विश्व गुरु बनने के लिए अग्रसर है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण का सपना पीएम मोदी की वजह से सफल हो पाया। पूरे विश्व में भारत की पहचान निरखती जा रही है। पीएम मोदी की वजह से ही सनातन धर्म परंपरा को देश में दुबारा जीवित हुआ है। पीएम मोदी ने उत्तराखंड में केदारनाथ मंदिर, काशी में विश्वनाथ और उज्जैन में महाकाल का जीर्णोद्धार करवाया।

मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में यह आयोजित हुआ कार्यक्रम

मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा
मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा

इस दौरान भगवान शिव के भव्य मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के तहत सुबह 9:00 बजे ओम आश्रम में देव पूजन, शिखर पूजन किया गया। इस दौरान हवन, पूर्णाहुति, महा आरती के साथ प्रसादी का कार्यक्रम हुआ। डेढ बजे तक अभिजीत मुहूर्त में बांसवाड़ा जिले के राजपुरोहित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के उपासक निकुंज मोहन पांडे और सह आचार्य पंडित कपिल त्रिवेदी मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान से मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न करवाया।

क्या खासियत है ओम की आकृति वाले शिव मंदिर की

पाली में बनाया गया ओमकार की आकृति का मंदिर विश्व का पहला अनूठा मंदिर है। इस मंदिर की आधारशिला 1995 में रखी गई। इस मंदिर को बनने में 28 साल लग गए। ? के आकार का 4 मंजिला शिव मंदिर करीब 250 एकड़ में बनाया गया है। इस मंदिर में कुल 108 पिलर्स हैं। शिव नाम की 1008 प्रतिमाएं और 108 कक्ष बनाए गए है। शिव मंदिर के साथ ही यहां 7 ऋषियों की भी समाधि है। 135 फीट ऊंचा मंदिर का शिखर है जिसके सबसे ऊपर वाले हिस्से में शिवलिंग स्थापित है और इस पर ब्रह्मांड की आकृति उकेरी गई है। इस मंदिर के निर्माण का सपना श्री अलखपुरी सिद्धपीठ परंपरा के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर महेश्वरानंद महाराज ने देखा था। मंदिर को बनाने में धौलपुर के बंसी पहाड़पुर के लाल पत्थर इस्तेमाल किया गया है।

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