
बीमारियों या संक्रमणों का कोई भी समूह है जो स्वाभाविक रूप से कशेरुकी जानवरों से लोगों तक फैल सकता है, जिसमें स्तनधारी, उभयचर, सरीसृप, पक्षी और मछलियाँ शामिल हैं। साथ ही, बड़ी संख्या में घरेलू और जंगली जानवर जूनोटिक रोग के स्रोत हैं, और संचरण के कई साधन हैं। वर्तमान में, 200 से अधिक ज्ञात प्रकार के ज़ूनोज हैं जो जूनोटिक रोगों के लिए जिम्मेदार हैं। दुनियाभर में आज वल्र्ड जूनोज डे मनाया जा रहा है।
क्या होते हैं जूनोटिक रोग?

जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों को जूनोटिक बीमारियां कहा जाता है। यह बीमारियां किसी जानवर के जरिए वायरस, बैक्टीरिया पैरासाइट, प्रोटोजोआ और फंगी से इंसानों तक फैलती हैं और उन्हें बीमार कर देती है। ऐसे में इन बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद हर साल वल्र्ड जूनोज डे मनाया जाता है।
कैसे फैलते हैं जूनोटिक रोग?

यह बीमारियां आमतौर पर संक्रमित जानवर की लार, रक्त, मूत्र, बलगम, मल या शरीर के अन्य तरल पदार्थों के सीधा संपर्क में आने से इंसानों में फैलता है। इसके अलावा निम्न तरीकों से भी यह बीमारी इंसानों तक पहुंचती है-
- संक्रमित सहत को छूने से
- संक्रमित पदार्थों, खाद्य पदार्थों के संपर्क में आने से
- हवा के माध्यम से
किन लोगों को रहता ज्यादा खतरा
- कैंसर रोगी
- बुजुर्ग, गर्भवती रोगी
- 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे
- जंगली क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लोग
- जंगली जानवरों वाले कस्?बाई इलाकों में रहने वाले लोग
- खेतीबाड़ी में जुटे लोग
जूनोटिक रोग कौन-कौन से हैं?
- प्लेग
- निपाह वायरस
- इबोला
- जीका वायरस
- सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम- जैसे कोविड-19 आदि
- मंकी पॉक्स
- डेंगू
- चिकुनगुनिया
- मलेरिया
- येलो फीवर
- वेस्ट नाइल फीवर
- जापानी एंसेफ्लाइटिस
- रेबीज
- बर्ड फ्लू
- स्वाइन फ्लू
इलाज से बेहतर है बचाव
जूनोटिक रोग गंभीर रूप ले सकते हैं। यह बीमारी पीडि़त व्यक्ति में हल्की से लेकर गंभीर बीमारी और मौत का कारण तक बन सकती हैं। ऐसे में इस बचाव के लिए जरूरी है कि कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए। जूनोटिक बीमारियों से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखें। साफ पानी पीएं और खाना पकाने के लिए सुरक्षित और साफ पानी का ही इस्तेमाल करें। इसके अलावा अपने पालतू जानवरों को रेबीज जैसी जरूरी वैक्सीन लगवाएं।
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