रोज पूरी करें नींद, इसकी कमी से बीमार हो सकता है आपका दिल

नींद
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स्लीप एपनिया एक गंभीर स्लीपिंग डिसऑर्डर है, जिसमें सोते समय सांस बार-बार रुकने लगती है। इस कारण रातभर व्यक्ति की नींद में बार-बार टूटती रहती है। यह दो प्रकार का होता है। स्लीप एपनिया जिसमें व्यक्ति का एयरवे ब्लॉक होने लगता है, जिस कारण से सांस लेने में तकलीफ होती है। दूसरा प्रकार होता है सेंट्रल एपनिया, जिसमें व्यक्ति का दिमाग सांस लेने की प्रक्रिया को ठीक से कंट्रोल नहीं कर पाता है।

सांस लेने में बाधा होने की वजह से व्यक्ति बार-बार नींद से जागता रहता है, जिस कारण, वह दिनभर थका हुआ महसूस करता है। लेकिन इस वजह से होने वाली परेशानियां बस यहीं खत्म नहीं होती हैं। स्लीप एपनिया की वजह से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा भी बढ़ जाता है। इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमने कुछ एक्सपर्ट से बात की, जिन्होंने यह बताया कि स्लीप एपनिया की वजह से कैसे दिल की सेहत प्रभावित हो सकती है। डॉ. के अनुसार स्लीप एपनिया का सबसे आम लक्षण है खर्राटे लेना। नींद में खर्राटे लेने का मतलब है कि आपकी सांस या तो रुक रही है या पूरी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। इस कारण नींद पूरी नहीं होती और शरीर के कई अंग, जैसे दिल और दिमाग प्रभावित होते हैं।

स्लीप एपनिया का इलाज नहीं है

स्लीप एपनिया
स्लीप एपनिया

डॉ. ने बताया कि स्लीप एपनिया के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसका कोई इलाज नहीं है। इसलिए इससे जुड़े कई हानितकारक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इस बीमारी की वजह से व्यक्ति की नींद पूरी नहीं हो पाती है और दिनभर थकान व रोजमर्रा के काम करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

स्लीप एपनिया के कारण होने वाली बीमारियां

उन्होंने बताया कि स्लीप एपनिया की वजह से हार्ट डिजीज, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। साथ ही, इसके कारण डिप्रेशन, एंग्जायटी, क्लॉस्ट्रोफोबिया जैसी बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। स्लीप एपनिया की वजह से दिल पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस बारे में एसएएओएल हार्ट सेंटर के निदेषक और एम्स के पूर्व कंसल्टेंट डॉ. बिमल छाजर ने बताया कि स्लीप एपनिया, दिल को कई तरीकों से प्रभावित कर सकता है। इस कारण अनियमित धडक़ने, हार्ट फेलियर, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ जाता है।

क्यों बढ़ जाता है दिल की बीमारियों का खतरा

दिल की बीमारियों का खतरा
दिल की बीमारियों का खतरा

डॉ. छाजर ने बताया कि स्लीप एपनिया की वजह से नींद बार-बार टूटती रहती है और ऑक्सीजन लेवल भी घट जाता है। इन दोनों वजहों से अनियमित धडक़नों की समस्या हो सकती है। दिल की धडक़नें अनियमित होने की समस्या को हार्ट एरिथमिया कहा जाता है। अनियमित धडक़नों के कारण, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है।

स्लीप एपनिया की वजह से हार्ट ब्लॉकेज या ब्लड वेसल्स संकड़ी होने का जोखिम भी काफी ज्यादा बढ़ जाता है। इस कारण दिल तक खून पहुंचने में रुकावट या समस्या होने लगती है, जो जानलेवा भी हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्लीप एपनिया के कारण ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन को बढ़ाता है। इन वजहों से ब्लड वेसल्स को काफी नुकसान पहुंचता है।

स्लीप एपनिया के कारण नींद पूरी न होने की समस्या तो रहती हैं, जिस कारण दिल पर काफी प्रभाव पड़ता है। बार-बार सांस रुकने के कारण होने वाली ऑक्सीजन लेवल की कमी को पूरा करने के लिए दिल पर काफी स्ट्रेस पड़ता है और उसका वर्कलोड बढ़ जाता है। इस वजह से दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है और वे सही तरीके से ब्लड पंप करने में असमर्थ हो जाती हैं। इस कारण हार्ट फेलियर हो सकता है।

हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी स्लीप एपनिया के कारण काफी बढ़ जाता है। स्लीप एपनिया की वजह से हाइपरटेंशन, एरिथमिया और कोरोनरी डिजीज का रिस्क बढ़ता है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं। स्लीप एपनिया की कंडिशन दिल के मरीजों की समस्या को और गंभीर बना सकता है। इसलिए जिन्हें कोई कार्डियोवैस्कुलर डिजीज होती है, उनके लिए स्लीप एपनिया घातक साबित हो सकता है।

कैसे कर सकते हैं कंट्रोल?

स्लीप एपनिया के इलाज का सबसे पहला स्टेप है प्रॉपर ट्रीटमेंट और लाइफस्टाइल में बदलाव। इसके अलावा, डॉक्टर से संपर्क करके, दवाइयों की भी मदद ली जा सकती है। स्लीप एपनिया के इलाज को नियमित रूप से फॉलो करने से इस कंडिशन को मैनेज किया जा सकता है और इसके कारण होने वाली दिल की बीमारियों का खतरा भी कम हो सकता है।

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