
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली। पिछले 41 दिन से अस्पताल में भर्ती कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव आखिरकार जिंदगी से जंग हार गए। उनका बुधवार सुबह करीब 10 बजे निधन हो गया। बता दें कि 10 अगस्त को जिम में वर्कआउट दौरान राजू को दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें एम्स में भर्ती करवाया गया था। राजू श्रीवास्तव के मौत की खबर सामने आने के बाद से ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। हर कोई नम आंखों से राजू को श्रद्धांजलि दे रहा है।
कई शो में राजू को जज कर चुके हैं शेखर सुमन

शेखर सुमन ने दूसरा ट्वीट कर लिखा, राजू सबसे मजेदार आदमी थे। हम सब उन्हें हमेशा याद करेंगे। मुझे कई शो में उन्हें जज करने का सौभाग्य और सम्मान मिला था, जिसमें “द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज” का नाम भी शामिल है, इस शो ने उन्हें अकल्पनीय ऊंचाइयों तक पहुंचाया”। वह अद्वितीय थे।
राजू के निधन से सदमे में शेखर सुमन
शेखर सुमन, राजू के जाने से दुखी हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, पिछले एक महीने से मैं जिस चीज के डर में जी रहा था, आखिरकार वह हो गया। राजू श्रीवास्तव, हम सभी को अपने स्वर्गीय निवास के लिए छोड़ गए। उनके निधन की खबर सुनकर मैं टूट गया हूं। भगवान उन्हें शांति प्रदान करे।
प्रधानमंत्री ने व्यक्त की संवेदनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा, राजू श्रीवास्तव ने हंसी, हास्य और सकारात्मकता के साथ हमारे जीवन को रोशन किया। वह हमें बहुत जल्द छोड़कर चले गए लेकिन वह वर्षों तक अपने समृद्ध काम की बदौलत अनगिनत लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे। उनका निधन दुखद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। शांति।
राजू के निधन से दुखी कुमार विश्वास
राजू भाई ने आखऱि ईश्वर के लोक की उदासी से लडऩे के लिए, सांसारिक यात्रा से विराम ले ही लिया। उनके संघर्ष के दिनों से लेकर यश के शिखर तक की यात्रा के सैकड़ों संस्मरण आँखों के आगे तैर रहे हैं।उदास लोगों को मुस्कराहट की ईश्वरीय सौग़ात देने वाले सिकंदर को अंतिम प्रणाम भाई।
राजू के कॉमेडी सफर की कहानी शेखर सुमन की जुबानी
राजू को जज करने वाले शेखर सुमन कहते हैं कि राजू श्रीवास्तव (असली नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव) से मेरी पहली मुलाकात उन दिनों हुई जब उन्हें कानपुर से बंबई (अब मुंबई) आए काफी अरसा हो चुका था। वह स्टेज शो में नजर आने लगे थे और अक्सर उनकी जरूरत ऐसे शोज में इसलिए होती थी कि मुख्य कलाकार को थोड़ी देर आराम करने का मौका मिल जाए। लेकिन, मेहनतकश लोग हाशिए से निकलकर लाइमलाइट में आ ही जाते हैं।
दरअसल, कम लोगों को ही पता होगा कि राजू श्रीवास्तव को आगे बढ़ाने में उन दिनों के कॉमेडी के सुपरस्टार जॉनी लीवर ने बहुत मदद की। राजू ने भी लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने का ये बड़ा काम आगे बढ़ाया और बहुत नाम कमाया।
यादों में राजू

अक्सर राजू के नाम के साथ लोग कॉमेडियन विशेषण के तौर पर लगा देते हैं। मैं इससे इत्तेफाक नहीं रखता। राजू जैसे लोग गंभीर कलाकार हैं और हास्य एक ऐसी विधा है जिसे कर पाना अभिनय में सबसे मुश्किल काम माना जाता है।
मुझे याद है ये साल 2005 की बात है मैं नवजोत सिंह सिद्धू के साथ ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ जज करने वाला था और राजू उसमें बतौर प्रतिभागी हिस्सा लेने वाले थे। शो की शूटिंग तब शुरू नहीं हुई थी और तमाम लोगों को पता भी नहीं था कि मैं इसे जज करने जा रहा हूं। राजू का फोन आया, उनकी आवाज में एक तरह की घबराहट थी। उन्होंने बताया कि वह इस शो में हिस्सा लेने जा रहे हैं और पता नहीं उनका ये फैसला सही है या गलत क्योंकि शो में उनका मुकाबला उनसे कहीं कम उम्र के कलाकारों के साथ होने जा रहा था।
राजू श्रीवास्तव जैसा कलाकार इस बात से चिंतित था कि अगर ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ वह जीत न सके तो उनकी काफी बदनामी हो सकती थी। मैंने उन्हें प्रतियोगिता में भरोसा करने को कहा और कहा कि उन्हें अपनी काबिलियत पर भी भरोसा रखना चाहिए। इस शो में वह तीसरे नंबर पर रहे थे क्योकि उनका आखिरी एक्ट काफी खराब हो गया था। इसे लेकर वह कई दिनों तक परेशान भी रहे। लेकिन, मैंने उन्हें समझाया कि क्रिकेट के मैच में कई बार नए नए खिलाड़ी छक्कों की बरसात कर देते हैं लेकिन इससे वह सुनील गावस्कर थोड़े ही बन जाते हैं। जब भी कभी बड़ा शो होगा तो जाहिर है कि लाइम लाइट तब भी राजू श्रीवास्तव पर ही रहेगी।
इसी शो में भगवंत मान (अब पंजाब के मुख्यमंत्री) भी प्रतियोगी के तौर पर हिस्सा ले रहे थे और नवजोत सिंह सिद्धू ने शो शुरू होने से पहले मुझे उनके बारे में विस्तार से बताया था। मान का तब तक पंजाब में बड़ा नाम हो चुका था, लेकिन जब राजू मंच पर आए तो पूरा माहौल बदल गया। दर्शकों से लेकर स्टेज पर मौजूद सारे लोग पेट पकड़कर देर तक हंसते रहे।
राजू श्रीवास्तव हास्य की दुनिया में जनता का दुख दर्द लेकर आए। वह कॉमेडी में ताजा हवा के झोंके की तरह थे। देश के दिल को उन्होंने कॉमेडी का मंच दिया। तब तक लोगों को इस बात का इल्म भी नहीं था कि किसी के चलने फिरने, बोलने बतियाने के ढंग को भी हास्य में तब्दील किया जा सकता है।
राजू का कॉमेडी का अंदाज अलग था
राजू श्रीवास्तव ने तमाम किरदारों को शोहरत बख्शी। गजोधर के बारे में सब जानते ही हैं। लेकिन, उनके अंदर उससे बड़ी खूबी थी निर्जीव वस्तुओं के आसपास कुदरती माहौल गढ़कर उनसे भी हास्य पैदा कर देने की। बरात में लोगों के खाना खाते समय खाने की प्लेट में चावल, नान, दाल और दूसरी चीजों के आपस में बातें करने वाला उनका एक्ट लोगों के बीच लंबे समय तक चर्चा में रहा।
राजू का जो मेरा सबसे पसंदीदा कॉमेडी एक्ट रहा, वह है एक टीवी न्यूज रिपोर्टर का उस शख्स का इंटरव्यू लेना जो अपनी तरफ बम फेंके जाने के बाद भी जीवित बच गया। उसकी वह जो एक लाइन है, ‘मैं बम हूं, मैं फटूं?’ उसे कहने का उनका अंदाज उनके चाहने वाले कभी नहीं भूल पाएंगे।
राजू श्रीवास्तव अपने पूरे करियर में अमिताभ बच्चन से खासे प्रभावित रहे। उन्हें शायद ये लगता भी था वह मिस्टर बच्चन जैसे दिखते भी हैं। राजू ने उनकी हेयरस्टाइल से लेकर उनके बोलने, बतियाने और चलने फिरने का ढंग तक अपनी शख्सियत में अपना लिया था। मंच पर राजू का आना अपने आप में एक अविस्मरणीय क्षण होता था।
लोग कुछ देर के लिए भूल जाते थे कि वह कोई शो देख रहे हैं, दर्शकों को लगता था कि ये सब उनके अपने घर में, अपने ड्राइंग रूम में हो रहा है। उनका नाता सीधे असली भारत से था और वह इस देश की नब्ज को गुदगुदाने का हुनर जान गए थे।
अक्सर राजू के नाम के साथ लोग कॉमेडियन विशेषण के तौर पर लगा देते हैं। मैं इससे इत्तेफाक नहीं रखता। राजू जैसे लोग गंभीर कलाकार हैं और हास्य एक ऐसी विधा है जिसे कर पाना अभिनय में सबसे मुश्किल काम माना जाता है।
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