कर्मयोग का संदेश देनेवाले राष्ट्रकवि हैं दिनकर : डॉ सत्या उपाध्याय

कोलकाता । भारतीय संस्कृति संसद की नियमित श्रृंखला ‘किताबें करती हैं बातें‘ के अन्तर्गत महाकवि दिनकर की चुनी हुई कृतियों पर चर्चा करते हुए कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या डॉ सत्या उपाध्याय ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि कर्मयोग का संदेश देने वाले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर सच्ची मनुष्यता के दो ही रास्ते बताते हैं, जिसमें एक है स्वयं सुख पाना और दूसरा है दूसरों को प्रेम, प्यार, अपनत्व बांटकर उन्हें सुखी बनाकर ख़ुश होना।

दिनकर की काव्य धारा पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने दिनकर के काव्य की प्रमुख तीन विशेषताओं राष्ट्रीयता, प्रेम और मनुष्यता पर प्रकाश डाला। वैश्विक महामारी के प्रति उन्होंने कर्मयोगी दिनकर की पंक्तियाँ उद्धृत की- “बाहर तो बसंत अब आएगा नहीं/मन रे भीतर कोई बसंत पैदा कर”कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ तारा दूगड़ ने कहा कि स्वातंत्र्यपूर्व एवं स्वातंत्र्योत्तर भारत के समाज सचेतन कवि दिनकर का जीवन राष्ट्रभक्ति से ओत:प्रोत था।


संस्था के सचिव श्री विजय झुनझुनवाला ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।डॉ बिट्ठलदास मूंधड़ा, डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी, राजगोपाल सुरेका, शिवकिशन दम्मानी, महावीर बजाज, राजेश दूगड़, बंशीधर शर्मा, डॉ रंजना त्रिपाठी, अनिल ओझा नीरद , स्नेहलता बैद, रचना मालू, राजेन्द्र कानूनगो, शिवनारायण व्यास सहित अनेक गणमान्य लोग देश के कई भागों से आभासी माध्यम से इस कार्यक्रम में जुड़े हुए थे।

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