8924. सकल सुधारै काम

  • ज्यां घट बहुळी बुध बसै, रीत-नीत परिणाम।
  • घड़ भांजै, भांजै घडै़, सकल सुधारै काम।।

जिनके भीतर रीति-नीति के परिणाम वाली बुद्धि बहुतायत से रहती हो, वे किसी न किसी तरह अपने बिगड़े बिगड़े हुए सभी काम बना ही लेते हैं। तात्पर्य यह कि बुद्धि से मनुष्य हरेक काम संभवकर लेता है।
एक राजा के राज्य में कुत्तों का उपद्रव बहुत बढ गया। और तो और, वे लोगों को काटने तक लग गए। आखिर लोगों ने राजदरबार में जाकर राजा को फरियाद की कि कुत्तों ने हमारा जीना हराम कर रखा है। घरों में बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। आप कुछ उपाय कीजिए। राजा धार्मिक प्रवृति का था। वह नहीं चाहता था कि उनको मरवा दिया जाए। हिंसा उसे पसंद नहीं थी। इसलिए कहा कि कुछ सोचकर इन कुत्तों का उपाय करेंगे। संयोग की बात कि अगले ही दिन एक कुत्ते ने राजा को भी काट लिया। अब राजा इस मामले में गंभीर हुआ।

उसने विचार किया कि कुत्तों का कोई न कोई उपाय करना अब वास्तव में बहुत आवश्यक हो गया है। उसने अपने मंत्री को बुलाया और उससे कहा कि मंत्रीजी, अपने यहां कुत्तों को उपद्रव अब सहनशक्ति से बाहर हो गया है। इन कुत्तों के कारण प्रजा त्रस्त है। ये कुत्ते तो सुधर सकते नहीं, इसलिए इनका मरना बहुत जरूरी हो गया है। लेकिन मैं यह नहीं चाहता कि इन्हें अस्त्र-शस्त्र या किसी विष से मारा जाए। मैं हिंसा नहीं चाहता।

इसलिए आप कोई ऐसा उपाय कीजिए कि हिंसा न हो और ये कुत्ते मर जाएं। मंत्री बड़ा बुद्धिमान था। उसने कहा कि आप जैसा कहेंगे, वैसा ही कोई उपाय करूंगा लेकिन मुझे इसके लिए कुछ दिनों की मोहलत चाहिए। राजा ने मोहलत दे दी। कुछ दिनों के बाद राजा ने मंत्रीी को बुलाकर पूछा कि मंत्रीजी, कोई उपाय मिला कि नहीं? तब मंत्री ने कहा कि हां महाराज, मुझे एक ऐसा उपाय मिल गया है, जिसमें किसी प्रकार की हिंसा नहीं करनी पड़ेगी और कुत्ते अपने आप ही मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे।

कल से ही मैं उस उपाय को काम लेना शुरू कर रहा हूं। अगले दिन मंत्री ने एक बहुत बड़ा दर्पण बनवा कर एक स्थान पर खड़ा करवा दिया। फिर उन्होंने कुत्तों के सुस्वादु व्यंजन तैयार करवाए। चार-पांच कुत्ते इकठटे किए और दर्पण के सामने कुत्तों के लिए व्यंजन रख दिए। जैसे ही उन कुत्तों ने खाना शुरू कर दिया, तो उन्हें अपना प्रतिबिंब दर्पण में दिखाई दिया। वे समझने लगे कि ये कोई और कुत्ते हैं और हमारा खाना खा रहे हैं।

बस, फिर क्या था, वे दर्पण पर झपटने लगे और तब तक झपटते रहे, जब तक कि उनकी मृत्यु नही हो गई। मंत्री का यह उपाय सफल हो गया और कुत्ते अपने आप मौत के घाट उतर गए। इसके बाद मंत्री ने इसी उपाय से बाकी कुत्तों से छुटकारा दिलवाया। इसके साथ ही कुत्तों का उपद्रव खत्म हो गया और प्रजा ने चैन की सांस ली।